अपने नुकसान का आकलन कर रही हैं नैनो की सहायक इकाइयां
कोलकाता, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा द्वारा 'नैनो' परियोजना पश्चिम बंगाल से बाहर ले जाने की औपचारिक घोषणा के बाद इस परियोजना की सहायक इकाइयां (वेंडर्स) अब अपने नुकसान का आकलन कर रही हैं।
कोलकाता से लगभग 40 किलोमीटर दूर हूगली जिले में सिंगुर स्थित नैनो परियोजना क्षेत्र के अंदर 50 से भी ज्यादा छोटी सहायक इकाइयों ने अपने-अपने केंद्र खोल रखे थे। ये इकाइयां नैनो कार के लिए टाटा मोटर्स को उपकरणों की आपूर्ति करने वाली थी।
इन इकाइयों में करोड़ों रुपये का निवेश किया गया है, इसलिए नैनो परियोजना के खटाई में पड़ने से इन्हें भारी नुकसान झेलना पड़ेगा। एक वेंडर ने आईएएनएस को बताया, "दुनिया में कहीं भी इस तरह की घटना नहीं हुई। यह एक प्रतिष्ठित परियोजना थी। यह आम लोगों को फायदा पहंचाने वाली परियोजना थी।"
रतन टाटा ने शुक्रवार की शाम अपनी औपचारिक घोषणा में कहा, "हमने नैनो को पश्चिम बंगाल से बाहर ले जाने का दुखद निर्णय लिया है.. क्योंकि हमें एक निश्चित अवधि के अंदर अपने वादे को निभाना है।"
सहायक इकाइयां चूंकि मूल परियोजना का आंतरिक हिस्सा होती हैं, इसलिए इस निर्णय के बाद उन्हें भी सिंगुर से बोरिया बिस्तर बांधने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। लेकिन वेंडरों ने अभी भी उम्मीद नहीं छोड़ी है। एक वेंडर ने कहा, "हमें अभी भी उम्मीद है कि कोई इस मामले में हस्तक्षेप करेगा और यह मसला सुलझा लिया जाएगा।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।