दाऊद मांगा तो परेशान हो गए थे मुशर्रफ : आडवाणी (लीड-1)
नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा है कि 2001 में आगरा शिखर वार्ता के दौरान पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ उस वक्त बेहद परेशान हो गए, जब उनसे माफिया सरगना दाऊद इब्राहिम को भारत के हवाले करने को कहा गया।
रामभाऊ म्हाल्गी प्रबोधिनी द्वारा 'आतंकवाद के खिलाफ युद्ध' विषय पर आयोजित एक सेमिनार को संबोधित करते हुए आडवाणी ने कहा "शिखर वार्ता के लिए आगरा पहुंचने से पहले मैंने मुशर्रफ से कहा था कि हमने हाल ही में तुर्की के साथ प्रत्यर्पण संधि की है। हम चाहते हैं कि भारत और पाकिस्तान को भी इसके बारे में सोचना चाहिए।"
आडवाणी ने कहा, "इसके बाद मैंने फिर कहा कि भले ही दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि न हो लेकिन पाकिस्तान को चाहिए कि वह दाऊद को भारत के सुपुर्द कर दे। क्योंकि 1993 में मुंबई बम धमाकों के आरोप उस पर साबित हो चुके हैं। इसके बाद ही मुशर्रफ परेशान हो गए।"
आगरा शिखर वार्ता की असफलता के कारणों का खुलासा करते हुए आडवाणी ने कहा, "जब मुशर्रफ ने यह राग अलापना चालू कर दिया कि भारत में आतंकवाद नहीं है, तो हमने साफ मना कर दिया कि दोनों देशों के बीच कोई समझौता नहीं हो सकता है। भारत का यह रुख एकदम सही था और इससे साबित भी होता है कि आंतकवाद पर भारत सरकार गंभीर थी।"
आडवाणी ने कहा, "पिछले 30 वर्षो में पाकिस्तान की कोशिश भारत को अस्थिर करने की कोशिश रही है। उसे पता है कि वह भारत के खिलाफ युद्ध नहीं सकता, इसलिए उसने आतंकवाद को बढ़ावा देना प्रारंभ किया।"
उन्होंने कहा कि देश में घट रही आतंकवादी घटनाओं में कुछ लोगों की संलिप्तता के लिए किसी धर्म विशेष को निशाना बनाया जाना बिल्कुल गलत है।
आडवाणी ने कहा, "भले ही आतंकवादी संगठन अपनी धमकियों भरे ईमेल में कुरान के उद्धरण देते हों, लेकिन इसके चलते इस्लाम को और निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि ठीक इसी प्रकार हिन्दू धर्म ग्रंथों को भी गलत तरीके से पेश किया जा सकता है। लोगों द्वारा यदि हिन्दुत्व को निशाना बनाया जाने लगा तो हमारे लिए इसे सहन कर पाना मुश्किल होगा।
आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए पोटा जैसे सख्त कानून की पार्टी की मांग का जिक्र करते हुए आडवाणी ने कहा, "पोटा का गलत उपयोग न हो, इस संबंध में सावधानी बरतने बाबत सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों को हमने स्वीकार किया है। इससे स्पष्ट होता है कि भाजपा कठोर कानून बनाने के लिए कितनी दृढ़ है।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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