चीन में प्रदूषण व धूम्रपान से करोड़ों को खतरा
वाशिंगटन, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। चीन में जैव ईंधन एवं कोयले की अत्यधिक खपत से फैले प्रदूषण और धूम्रपान की आदत की वजह से अगले 25 वर्षो में आठ करोड़ लोगों की मौत हो सकती है।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय की ओर से कराए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि यदि चीन में धूम्रपान की आदत और जैव ईंधन एवं कोयले की खपत की मौजूदा प्रवृत्ति जारी तो वर्ष 2033 तक क्रोनिक प्रतिरोधी फेफड़े के रोग (सीओपीडी) से करीब 6.5 करोड़ और फेफड़े के कैंसर से अनुमानित 1.8 करोड़ लोगों की मौत हो जाएगी।
विज्ञान पत्रिका 'साइंस डेली' ने अपनी एक रिपोर्ट में इस अध्ययन के हवाले से कहा है कि श्वास से संबंधित रोग चीन में होने वाली मौतों के 10 प्रमुख कारणों में से हैं। चीन में पुरुषों की लगभग आधी आबादी धूम्रपान करती है। वहां की महिलाएं भी इस बुरी लत का तेजी से शिकार हो रही हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक चीन के 70 प्रतिशत से भी ज्यादा घरों में खाना पकाने और घर को गरम रखने के लिए लकड़ी, कोयला और फसलों के अवशेष का इस्तेमाल किया जाता है।
गौरतलब है कि दुनिया भर में धूम्रपान करने वालों की कुल संख्या 1.1 अरब है। इनमें से 90 करोड़ से भी ज्यादा लोग अपेक्षाकृत कम आमदनी वाले तबके या मध्यवर्ग के हैं। दुनिया की लगभग आधी आबादी घरों में ऊर्जा के मुख्य स्रोत के रूप में जैव ईंधन और कोयले का इस्तेमाल करती है।
ऐसी स्थिति में हार्वर्ड विश्वविद्यालय की ओर से कराए गए अध्ययन का निष्कर्ष केवल चीन के लिए ही नहीं दुनिया के कई अन्य देशों के लिए भी खतरे की घंटी है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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