डाक टिकटों में मोहन से महात्मा तक का सफर

By Staff
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Mahatama Gandhi
इलाहाबाद, 3 अक्टूबरः राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन को दुनिया के करीब 150 देशों ने डाक टिकटों में समेटा है जिनमें ब्रिटेन भी शामिल है जिसके शासन के खिलाफ उन्होंने निर्णायक लड़ाई लड़ी।

इलाहाबाद निवासी अनिल रस्तोगी डाक टिकट के जरिये गांधी की महानता लोकप्रियता और विचारों को समझाने का प्रयास करते हैं। पेशे से दाल के व्यवसायी रस्तोगी के संग्रह में ईरान, रोम, सीरिया मोरक्को, अमेरिका, युगांडा, एंटीगुआ, मारीशस और बारबुडा सहित तकरीबन 150 देशों के 800 से अधिक डाक टिकट शामिल हैं जो बापू की स्मृति में जारी किए गए हैं।

रस्तोगी ने 15 साल की उम्र में डाक टिकटों का संग्रह शुरू किया था और वर्तमान में 50 की उम्र पार कर चुके रस्तोगी के पास गांधी थीम वाले डाक टिकट के अलावा गांधी से संबंधित विश्व के तमाम देशों द्वारा जारी फर्स्ट डे कवर केसिलेंट, लोगो, टोकन, क्वाइन मिचर, शीट, सिक्के, पोस्टकार्ड, लेबिल हुंडी, ताश के पत्ते और मोबाइल कार्ड शामिल हैं।

बहुत कम लोगों को पता होगा कि भारत को गुलामी के शिकंजे में कसने वाले ब्रिटेन ने जब पहली दफा किसी महापुरूष पर डाक टिकट निकाला तो वह महात्मा गांधी ही थे। इससे पहले ब्रिटेन में डाक टिकट पर केवल राजा या रानी के ही चित्र छापे जाते थे। यह टिकट रस्तोगी के संग्रह में शामिल है।

इस अनूठे संग्रह में भूटान द्वारा जारी प्लास्टिक का डाक टिकट, माइक्रोनेसिया का लीडर आफ टूवेल्थ सेंचुरी, मानवाधिकार घोषणा की चालीसवीं वर्षगांठ पर डोमेनिका का गांधी टिकट (जिसमें गांधी को मार्टिन लूथर, किंग अल्बर्ट, आइंसटीन और रूसवेल्ट के साथ दिखाया गया है) शामिल है।

दक्षिण अमेरिका का 10 टिकटों का सेट जिसमें नेहरू गांधी और पटेल शामिल हैं। तुर्कमेनिस्तान ने भारतीय स्वतंत्रता की 50 वीं वर्षगांठ पर 1997 में जो डाक टिकट निकाला उसमें बापू को इंदिरा गांधी के साथ दिखाया गया है।

उत्तरी अमेरिका द्वारा जारी डाक टिकट में गांधी को मृत्यु शैय्या पर लेटे दिखाया गया है। हालांकि गांधी नाथूराम गोडसे की गोली से यहां बिड़ला हाउस में शहीद हुए। सांडा द्वीप के थ्री डी डाक टिकट में गांधी को बच्चों को दुलारते दर्शाया गया है।

डबरा आइसलैंड का गांधी पर गोल्डन डाक टिकट, नाइजीरिया का आइंसटीन के साथ गांधी का टिकट, तजाकिस्तान के डाक टिकट में गांधी को साइकिल चलाते दिखाया गया है और जाम्बिया के ला स्टूडेंट इन लंदन इस अनूठे संग्रह के अंग हैं।

रस्तोगी की ख्वाहिश है कि डाक टिकट के माध्यम से गांधी के पूरे जीवन को लोगों के सामने रखा जाये। वह इसके लिए एक खास तरह का एल्बम बनवा रहे हैं जिसमें हिन्दी और अंग्रेजी में बापू के जीवन का विवरण लिखा होगा।

इस संग्रह को देखकर "डायरेक्ट्रेट आफ महात्मा गांधी फार नान वाइलेंस एंड पीस" के अमलेंदु गुहा ने अनिल से कहा था आपके द्वारा एकत्र किए संपूर्ण विश्व के गांधी के डाक टिकट के जरिये बापू के विचारों, लोकप्रियता और व्यक्तित्व को काफी सहजता से आम लोगों के सामने रखा जा सकता है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गांधी की लोकप्रियता को दर्शाने वाले इस संग्रह पर दूरदर्शन ने 30 मिनट की डाक्यूमेंट्री भी बनायी थी।

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