उड़ीसा की स्थिति पर केंद्र चिंतित, ताज हिंसा में दो की मौत (राउंडअप)
नई दिल्ली/भुवनेश्वर, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)। उड़ीसा में जारी हिंसा पर केंद्र सरकार द्वारा चिंता व्यक्त किए जाने के बावजूद कंथमाल जिले में भड़की ताजा हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई। हालांकि, केंद्र सरकार ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने से इनकार किया है।
भारी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती के बावजूद राज्य के कंथमाल जिले में शुक्रवार को एक हिंसक भीड़ ने दो लोगों को घर से बाहर खींचकर उनकी हत्या कर दी। एक पुलिस अधिकारी ने आईएएनएस को फोन पर बताया कि करीब 100 लोगों की भीड़ ने जिले के एक घर से दो लोगों को बाहर निकाल कर उनकी हत्या कर दी। पुलिस बल इस सुदूर गांव में पहुंच गया है।
बहरहाल, जिले के बालीगुडा में एक नन के साथ हुए बलात्कार के मामले में पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है। करीब एक महीने पहले नन ने शिकायत दर्ज कराई थी कि करीब एक दर्जन पुलिसकर्मियों के सामने उसका बलात्कार करने के बाद उसे गांव में निर्वस्त्र घुमाया गया था। उड़ीसा सरकार ने गुरुवार को मामले की जांच के आदेश दिए। सरकार ने बालीगुडा पुलिस थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया है। नन ने यहां 26 अगस्त को अपनी शिकायत दर्ज कराई थी। गृह विभाग के अधिकारी ने कहा कि अपराध शाखा का पुलिस महानिरीक्षक स्तर का अधिकारी मामले की जांच करेगा।
इस बीच कंधमाल में सांप्रदायिक हिंसा के आरोप में पिछले दो दिनों में 46 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। अधिकारियों के मुताबिक अगर हिंसा नहीं थमी, तो आने वाले दिनों में कु़छ और लोगों को गिरफ्तार किया जा सकता है। क्षेत्र में करीब 5,000 से अधिक सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है। इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया है।
उधर, शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी ने बताया, "उड़ीसा के हालात पर मंत्रिमंडल ने गहरी चिंता जताई है। गृह मंत्रालय से कहा गया कि वह अगली बैठक में राज्य के पूरे हालात के बारे में एक रिपोर्ट पेश करें। बैठक में यह माना गया कि कुछ संगठन हिसा में भाग ले रहे हैं।"
रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव की उड़ीसा में राष्ट्रपति शासन की मांग के बारे में दासमुंशी ने कहा कि संविधान से जुड़े निर्णयों को मनमाने ढंग से नहीं लिया जा सकता।
उल्लेखनीय है कि 23 अगस्त को कंधमाल में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेता स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती और उनके चार सहयोगियों की हत्या के बाद से पूरा राज्य सांप्रदायिक हिंसा की चपेट में है। हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों में इस समय 5,000 से अधिक सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।