धूम्रपान का महिमामंडन आकर्षित कर रहा है किशोरों को
कोलकाता, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)। हाल में किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि किशोरावस्था में धूम्रपान करने वालों को श्रवण संबंधी परेशानियों का सामना तो करना ही पड़ता है साथ ही वे अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते। इसके अलावा यह उनके मस्तिष्क के विकास को भी प्रभावित करता है।
कोलकाता, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)। हाल में किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि किशोरावस्था में धूम्रपान करने वालों को श्रवण संबंधी परेशानियों का सामना तो करना ही पड़ता है साथ ही वे अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते। इसके अलावा यह उनके मस्तिष्क के विकास को भी प्रभावित करता है।
ऐसे समय में जब धूम्रपान को लगातार महिमामंडित किया जा रहा है, शिक्षण संस्थाओं के आसपास सिगरेट आसानी से उपलब्ध है, फिल्मों में लगातार ऐसे दृश्य दिखाए जा रहे हैं जिनमें धूम्रपान करने वालों का आकर्षक चित्रण होता है तो आश्चर्य नहीं कि युवा वर्ग आसानी से धूम्रपान की ओर आकर्षित होता है। विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों द्वारा देश भर में कराए गए अनेक सर्वेक्षणों से पता चला है कि युवाओं में धूम्रपान का चलन तेजी से बढ़ रहा है।
'न्यू साइंटिस्ट' नामक जर्नल में प्रकाशित 'टीनएज स्मोकर्स रिस्क बैडली वायर्ड ब्रेन' शीर्षक वाले लेख में याले विश्वविद्यालय के चिकित्सा विभाग के शोधकर्ता लेसली जैकबसन और उनके सहयोगियों ने 'डिफ्यूजन टेंसर इमेजिंग' (डीटीआई) के द्वारा धूम्रपान करने वाले किशोरों के मस्तिष्क के ऊतकों में पानी के फैलाव पर शोध किया। इससे पता चला कि किशोरों में धूम्रपान का उनके मस्तिष्क के विकास पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि धूम्रपान करने वालों में (खासकर युवा लड़कों में) सुनने की समस्या होने की संभावना ज्यादा रहती है। मस्तिष्क भी धूम्रपान के प्रति संवेदनशील होता है। यही वह उम्र होती है जब उसके विकास की प्रक्रिया चल रही होती है लेकिन ऐसे में धूम्रपान उस पर बुरा असर डालता है।
यही नहीं 14 से 19 वर्ष की आयु के युवाओं के ऊपर किए गए इस शोध से यह भी सामने आया कि धूम्रपान युवाओं की ध्यान केंद्रित करने की क्षमता पर भी नकारात्मक असर डालता है। जो किशोर अभी धूम्रपान कर रहे थे या जिनकी माताओं ने गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान किया था उन्हें कई बातों पर ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती थी। उल्लेखनीय है कि धूम्रपान और तंबाकू चबाने से देश में हर वर्ष करीब आठ लाख लोगों की मौत हो जाती है।
ऊपर जिस अध्ययन की चर्चा की गई है वह एक बार फिर पुरानी बहस को जन्म देता है। भले ही अध्ययन अमेरिका में किया गया हो लेकिन एक बात तो तय है कि हमें धूम्रपान के प्रति कड़ा रवैया अपनाना होगा खासकर किशोरों के बीच।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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