उड़ीसा में हिंसा के बावजूद अपने कार्य जारी रखेंगीं नन
कोझीकोड, 1 अक्टूबर (आईएएनएस)। उड़ीसा में ईसाई समुदाय और गिरजाघरों पर हमले के संबंध में केरल की कैथोलिक ननों का कहना है कि इससे उनके कार्यो पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा लेकिन राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा सुरक्षा नहीं दिए जाने से वे दुखी जरूर हैं।
कोच्चि स्थित 'फ्रांसिस्केन क्लेरिस्ट कोंगरेगैसन' (एफसीसी) संस्था की ननें देश के कई हिस्सों में कार्य करती हैं। इस संस्था की 30 वर्षीय नन माबले ने शनिवार को मलेरिया के कारण दम तोड़ दिया। वे उड़ीसा को कंधमाल जिले में काम करती थीं।
कंधमाल में हिंसा फैलने के बाद माबले वहां की जंगलों में लगभग दो हफ्ते तक छुपी रहीं, जिस कारण वे मलेरिया की चपेट में आ गईं। माबले की एक सहकर्मी थियोफीन ने आईएएनएस को बताया कि कंधमाल में माबले के क्लिनिक पर हमला किया गया था, जिसके कारण वे जंगलों में चली गईं थी।
माबले अस्वस्थ अवस्था में सितम्बर के दूसरे हफ्ते में केरल पहुंची थीं। कोझीकोड में एक अस्पताल में शनिवार को उनकी मौत हो गई।
उड़ीसा में हिंसा की घटनाओं के बावजूद नन का कहना है कि वे सभी वहां चिकित्सा और शिक्षा के क्षेत्र में काम करती रहेंगी। थियोफीन ने कहा कि माबेल की इच्छा थी कि स्वस्थ्य होने के बाद वे फिर से कंधामल में काम करें।
थियोफीन ने बताया कि उड़ीसा में हिंसा के पीछे हिंदूओं का हाथ नहीं है। उन्होंने कहा, "यह कहना गलत है कि हिंसा के पीछे हिंदू हैं। दरअसल हमलावर और कोई नहीं बल्कि नेता हैं। उड़ीसा में कई हिंदू ईसाई समुदाय के लोगों की सहायता कर रहे हैं।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।