मध्यप्रदेश के श्योपुर में कुपोषण से 66 मौतें
भोपाल, 29 सितम्बर (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले के बच्चों के लिए कुपोषण काल बन गया है और वह बच्चों को लगातार लीलता ही जा रहा है। सितम्बर माह में तो काल बने कुपोषण ने 66 बच्चों की बलि ले ली। जिला प्रशासन बच्चों की मौतों को तो नहीं नकार रहा है मगर मौत की वजह कुपोषण मानने को तैयार नहीं है।
श्योपुर जिले के कराहल और श्योपुर तहसील का बुरा हाल है। यहां कुपोषण पीड़ित बच्चों की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है। भोजन का अधिकार अभियान की उमा चतुर्वेदी का दावा है कि सितंबर माह में 66 बच्चों की मौत कुपोषण के कारण हुई है। आलम यह है कि सहरिया आदिवासी बाहुल्य इस इलाके में बच्चों के बीच कुपोषण महामारी का रूप ले चला है। सरकार के दावे और कोशिशों की पोल खुलती नजर आती है।
भोजन के अधिकार अभियान द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में पता चला है कि कुपोषण के चलते कटीला में तीन, रानीपुरा में तीन, रिछी में चार, चक्का मजीतपुर में छह, राडेप में पांच, इंद्रपुरी में तीन, नया गांव में छह, कुढामचा में तीन, बाधली में छह, जडपुर में एक, टिकरौली में छह, मदनपुर में दो, परगवां में तीन, गोठरा में चार, चक बरगवां में दो, गठमा में दो और बड़ौदा, ढोढर, लहरौनी तथा ऊची खेरी में एक-एक बच्चे की मौत हुई है। यह सारी मौतें सितम्बर माह में हुई हैं।
भोजन के अधिकार अभियान की चतुर्वेदी ने बताया है कि इस जिले में महिला बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग अपनी जिम्मेदारियों का ठीक तरह से निर्वाहन नहीं कर रहा है। अभी हाल में जबलपुर उच्च न्यायालय ने कलेक्टर को नोटिस भी जारी किया है मगर हालात नहीं सुधरे हैं।
श्योपुर के कलेक्टर शोभित जैन बच्चों की मौत की बात स्वीकारते हैं। उनका कहना है कि बच्चों की मौतें बुखार तथा दूसरी बीमारियों के चलते हुई हैं। स्वास्थ्य अमला और महिला बाल विकास विभाग सक्रिय है। कुपोषण से मौत का एक भी मामला उनके सामने नहीं आया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।