वृंदावन के प्राचीन ब्रह्म-कुंड को मिला नया जीवन
वृंदावन, 29 सितम्बर (आईएएनएस)। वृंदावन कस्बे के बीचों बीच रंगजी मंदिर के ठीक उत्तर में स्थित ब्रह्म-कुंड को कभी भगवान कृष्ण और राधा की सबसे प्रिय क्रीड़ास्थली माना जाता था। कुछ वर्ष पहले तक यह अपनी दारुण दशा पर आंसू बहा रहा था जब ब्रज फाउंडेशन ने इस प्राचीन कुंड का कायाकल्प कर इसे एक नया जीवन प्रदान करने की ओर कदम बढ़ाया।
कुंड का आकार चौकोर है और इसके चारों ओर चार घाट बने हुए हैं। कुंड और घाट को अलग करने वाले आठों बिंदुओं पर एक-एक बुर्ज बनी हुई है। आठ बुर्जो में से दो तो इतनी बुरी तरह नष्ट हो चुकी हैं कि उनमें सुधार की कोई गुंजाइश ही नहीं है जबकि एक का पुनर्निर्माण ईंटों के सहारे किया गया है।
फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विनीत नारायण याद करते हैं कि आरंभिक सर्वे के समय उन्होंने पाया कि चारों ओर से किए गए अतिक्रमण के कारण कैसे कुंड अपना वास्तविक आकार खो चुका था। कुंड में पानी के सभी स्रोत या तो बंद थे या फिर सूख गए थे । आसपास के रहवासियों में जागरुकता की कमी और उनकी उपेक्षा के कारण यह कुंड उनके लिए कचरा घर में बदल चुका था। यहां तक कि स्थानीय प्रशासन भी इसका प्रयोग कूड़ेदान के रूप में ही कर रहा था।
विनीत ने बताया, "सबसे पहले तो हमने जिला प्रशासन की मदद से उन लोगों से बात की जो अपने-अपने स्वार्थो के चलते इसके पुनरोद्धार के खिलाफ थे। सबसे कठिन काम था सफाई के लिए ट्रैक्टरों और जेसीबी मशीनों को वहां ले जाना क्योंकि गलियां बेहद संकरी थीं। सिर्फ भगवान कृष्ण और राधारानी की कृपा से ही यह महती कार्य हो सका।"
फाउंडेशन को वहां से 30 फीट से अधिक कचरा हटाने के लिए पहले स्थानीय समुदायों के बीच विश्वास का वातावरण तैयार करना पड़ा। उसके बाद इस कुंड के जीर्णोद्धार की प्रक्रिया आरंभ हुई। ब्रह्म-कुंड धीरे-धीरे अपने नैसर्गिक सौंदर्य को वापस पा रहा है। ब्रज फाउंडेशन ने विशेषज्ञों, वास्तुविदों, कुशल कलाकारों और तकनीकी रूप से सक्षम लोगों की एक पूरी टीम को इस काम के लिए नियुक्त कर रखा है।
उम्मीद की जा रही है कि आगामी छह से आठ सप्ताह के दौरान कुंड दोबारा अपनी प्राचीन खूबसूरती को पाने में कामयाब होगा। यहां चलाए जा रहे कामों के स्तर को देख कर स्थानीय लोग आशान्वित हैं कि यह जल्द ही वृंदावन का सबसे बड़ा पर्यटन स्थल बन जाएगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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