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परमाणु करार अब अगले सप्ताह सीनेट में पेश होगा (लीड-3)

By Staff
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वाशिंगटन, 27 सितम्बर (आईएएनएस)। भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता सीनेट में अनुमोदन के लिए अब अगले सप्ताह पेश हो सकेगा। सीनेट में बहुमत के नेता हैरी रीड ने ऐसी संभावना जताते हुए कहा कि अगले सप्ताह तक सत्र जारी रखा जा सकता है।

अमेरिकी संसद के प्रतिनिधि सभा में शुक्रवार को परमाणु समझौते के मसौदे पर विचार किया गया।

डेमोक्रेट सदस्य रीड ने कहा, "इसकी प्रबल संभावना है कि हम अगले सप्ताह तक सत्र जारी रखेंगे। फिलहाल कई महत्वपूर्ण काम किए जाने बाकी हैं।"

संसद के सभी सदस्य फिलहाल वित्तीय प्रणाली को सुदृढ़ बनाए रखने के लिए बुश प्रशासन के 700 अरब डॉलर के राहत पैकेज की योजना पर विचार करने में व्यस्त हैं।

विदेशी मामलों की संसदीय समिति के अध्यक्ष हावर्ड बरमैन फिलहाल परमाणु मसौदे को 19-2 से समर्थन देने पर सहमत हो गए हैं। राष्ट्रपति जॉर्ज बुश और भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मुलाकात के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस ने बरमैन से ऐसा करने की अपील की थी।

इससे पहले बुश और मनमोहन ने गुरुवार को ओवल कार्यालय में मुलाकात के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में एक-दूसरे की जमकर प्रशंसा की। बुश ने कहा कि भारत-अमेरिका परमाणु समझौते को कांग्रेस की मंजूरी दिलाने के लिए कड़ी मेहनत की जा रही है।

भारत-अमेरिकी संबंधों में बदलाव के लिए बुश की व्यक्तिगत प्रतिबद्धता की प्रशंसा करते हुए मनमोहन ने नागरिक परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग और भारत का नाभिकीय अलगाव खत्म करने में राष्ट्रपति के योगदान के लिए भारत की ओर से उन्हें धन्यवाद दिया।

व्हाइट हाउस में मनमोहन सिंह ने बुश से कहा कि पिछले साढ़े चार सालों में भारत-अमेरिका संबंधों में भारी बदलाव आया है और आपने इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

उन्होंने आशा जताई कि अमेरिकी कांग्रेस के समक्ष मंजूरी के लिए रखे गए भारत-अमेरिका परमाणु समझौते को इस रूप में स्वीकृति प्रदान की जाएगी, जिससे दोनों देशों के दृष्टिकोण संतुष्ट होंगे।

बुश ने कहा, "दोनों पक्षों ने इस समझौते पर काफी काम किया है। हम इसे संपन्न कराने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।"

बुश के साथ उनके ओवल कार्यालय में वार्ता समाप्त होने के बाद मनमोहन सिंह ने कहा, "संभवत: आपके राष्ट्रपति रहते यह मेरी आखिरी अमेरिका यात्रा है। भारत के लोग आपसे गहरा प्रेम करते हैं। दोनों देशों को नजदीक लाने के लिए आपने जो कुछ किया है, उसके लिए इतिहास आपको याद करेगा।"

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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