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सिंगुर में माकपा व तृणमूल ने झोंकी आखिरी ताकत

By Staff
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कोलकाता, 22 सितम्बर (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल की प्रमुख विपक्षी पार्टी तृणमूल कांग्रेस और सत्ताधारी वाम मोर्चा के समर्थक टाटा मोटर्स की छोटी कार 'नैनो' परियोजना के लिए अधिग्रहित जमीन विवाद के मसले पर सिंगुर के किसानों को अपने-अपने पक्ष में करने के लिए उनके घर-घर जा रहे हैं।

परियोजना के लिए अधिग्रहित जमीन लौटाए जाने की मांग करने वाले किसानों को 10 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा देने की सरकार की पेशकश की समय सीमा सोमवार को खत्म हो रही है। यही वजह है कि इस मामले को लेकर दोनों खेमों में अधीरता बढ़ती जा रही है और वे कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते।

राज्य सरकार के प्रमुख घटक दल मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के कार्यकर्ता बेराबेरी, गोपालनगर, सिंघेरभेरी आदि गांवों के दौरे कर रहे हैं। वे उन किसानों से घर-घर जाकर संपर्क कर रहे हैं, जिनकी जमीन नैनो परियोजना के लिए ली गई है और जिन्होंने सरकार की ओर से घोषित मुआवजे के ताजा पैकेज को ठुकरा दिया है।

दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस समर्थित किसानों के संगठन 'कृषि जमीं जीबन जीबिका रक्षा कमेटी' (केजेजेआरसी) के कार्यकर्ता सरकारी पैकेज से असंतुष्ट किसानों के घर-घर जाकर उन्हें उनके रुख पर कायम रहने के लिए प्रोत्साहित रहे हैं।

गौरतलब है कि दुनिया की सबसे सस्ती एक लाख रुपये कीमत वाली कार 'नैनो' को बाजार में उतारने के लिए टाटा मोटर्स ने दो वर्ष पहले हूगली जिले के सिंगुर में फैक्ट्री बनाना शुरू किया था। लेकिन इस परियोजना के लिए जमीन के अधिग्रहण को लेकर उठे विवाद के तूल पकड़ने की वजह से लगभग एक महीने से निर्माणाधीन फैक्ट्री में कामकाज ठप पड़ा है।

नैनो परियोजना के लिए सरकार ने कुल 997.11 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। लेकिन तृणमूल कांग्रेस और किसानों के संगठन कृषि जमीं जिबिका रक्षा कमेटी (केजेजेआरसी) का कहना है कि इसमें से 400 एकड़ जमीन किसानों से उनकी मर्जी के खिलाफ ली गई है, लिहाजा यह जमीन उन्हें लौटा दी जानी चाहिए।

राज्य सरकार ने हाल में स्थानीय समाचार पत्रों में एक विज्ञापन दिया था। इसमें नैनो परियोजना के लिए जमीन देने वाले किसानों के लिए छह बिंदुओं वाले मुआवजा पैकेज की पेशकश की गई थी।

इस पैकेज के मुताबिक प्रभावित किसानों के परिजनों को परियोजना क्षेत्र के अंदर से 70 एकड़ जमीन लौटाने की पेशकश की गई थी।

सरकार ने ताजा पैकेज में किसानों को अतिरिक्त मुआवजा देने की भी पेशकश की थी। हालांकि किसान अब भी परियोजना क्षेत्र के अंदर से 300 एकड़ जमीन लौटाए जाने की मांग पर अड़े हुए हैं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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