गंगा के अविरल प्रवाह में बाधा स्वीकार नहीं : गोविंदाचार्य
वाराणसी, 21 सितम्बर (आईएएनएस)। वाराणसी में रविवार को गंगा महासभा द्वारा आयोजित गंगा मुक्ति महासंगम के दूसरे दिन के. एन. गोविंदाचार्य ने गंगा के अविरल प्रवाह में किसी प्रकार की बाधा को बर्दास्त नहीं करने का आह्वान किया। गंगा महासंगम के अंतिम दिन उन्होंने कहा कि गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करवाने का हमारा लक्ष्य बिल्कुल दृढ़ और साफ है।
गोविंदाचार्य ने यहां एक पत्रकार वार्ता में याद दिलाते हुए कहा कि तत्कालीन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने महामना मालवीय जी की अवधारणा की अवहेलना करते हुए टिहरी बांध से चार इंच के पाइप से गिरने वाले जल को अविरल मान लिया था। जबकि मालवीय जी की अवधारणा यह थी कि गंगा का अविरल प्रवाह जमीन से होना चाहिए और दूसरा यह कि उसका संपर्क आकाश से होना चाहिए।
उन्होंने तत्कालीन मानव संसाधन मंत्री मुरली मनोहर जोशी को दोषी बताते हुए कहा कि उन्होंने सरकार को आश्वासन दिया कि मैं ऐसी रिपोर्ट तैयार करवाऊंगा कि अविरलता भी रहेगी और बांध का आंदोलन भी समाप्त हो जायेगा।
गंगा महासभा के प्रवक्ता गोविंदाचार्य ने कहा कि गंगा सिर्फ एक नदी ही नहीं है बल्कि पूरे हिन्दुस्तान की आस्था और संस्कृति का केन्द्र भी है इसलिए इससे सभी जुड़े हुए हैं, बस हमें यहीं सावधान रहना है कि जो गलती टिहरी आन्दोलन के समय में हो गयी थी उसे दुहराया न जाए।
तमाम राजनीतिक पार्टियों के गंगा आन्दोलन से जुड़ने के सवाल पर गोविन्दाचार्य ने कहा कि नरसिंह राव सरकार के समय गंगा से जुड़ी समस्याओं को लेकर पूर्ण उपेक्षा बरती गयी। जिसकी भरपाई के लिये अपने कार्यकाल में राजीव गांधी ने कुछ गंभीर प्रयास जरूर किये, लेकिन वह प्रयास भी भ्रष्टाचार के भंवर में फंस कर रह गया। राजग सरकार ने तो हद ही कर दिया। उस समय शीर्ष पर बैठे लोगों ने कहा कि गंगा अगर भारत में पूजी जाती है तो रूस में बोल्गा भी पूजी जाती है। इस तरह से राजनीतिक पार्टियों के भरोसे यह आन्दोलन सफल नहीं होगा। उन्होंने आह्वान किया कि आम जनमानस को इस आन्दोलन से जुड़ना होगा।
उन्होंने सावधान किया कि गंगा मुक्ति अभियान अब जन जन की भावना से जुड़ता जा रहा है। इसी को भांपकर कई राजनीतिक दल उसका लाभ उठाने की फिराक में हैं। इस पर हमें सचेत होकर अपने मूल लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करना होगा। यदि धीरज, साहस व पहल को गंभीरता से धारण कर लिया जाय तो गंगा मुक्ति का महाअभियान जरूर सफल होगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।