'भारत की नई पीढ़ी दे सकती है दुनिया को चुनौती'
नई दिल्ली, 21 सितम्बर (आईएएनएस)। वरिष्ठ अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने अपनी नई पुस्तक में लिखा है कि भारत में इस समय बेहद निर्णायक बदलाव आ रहे हैं और आने वाली पीढ़ी दुनिया के सामने कड़ी चुनौती पेश कर सकती है। उन्होंने ये बाते अपनी नई पुस्तक 'द इंडियन रेनेसां : इंडियाज राइज आफ्टर अ थाउजेंड इयर्स ऑफ डिक्लाइन' में कहा है।
नई दिल्ली, 21 सितम्बर (आईएएनएस)। वरिष्ठ अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने अपनी नई पुस्तक में लिखा है कि भारत में इस समय बेहद निर्णायक बदलाव आ रहे हैं और आने वाली पीढ़ी दुनिया के सामने कड़ी चुनौती पेश कर सकती है। उन्होंने ये बाते अपनी नई पुस्तक 'द इंडियन रेनेसां : इंडियाज राइज आफ्टर अ थाउजेंड इयर्स ऑफ डिक्लाइन' में कहा है।
सान्याल ने आईएएनएस को बताया, "मेरी किताब देश की सुदृढ़ आर्थिक स्थिति पर है। एक हजार सालों में पहली बार हमारे पास एक ऐसी पीढ़ी है जो दुनिया का मुकाबला कर सकती है। ग्यारहवीं शताब्दी में समुद्र पार करने पर रोक लगने के बाद हमारा विस्तार थम गया था लेकिन अब हमारी धारणाओं में क्रांतिकारी बदलाव आ रहा है।"
अपनी किताब के प्रमोशन के सिलसिले में सिंगापुर से भारत आए सान्याल ने कहा कि उनकी किताब देश के लोगों को उनके सामने उपलब्ध अवसरों से अवगत कराएगी।
उन्होंने भारत में व्यापक परिवर्तनों का उल्लेख करने के लिए दो वर्षो का चयन किया है, पहला 1947 और दूसरा 1991। सान्याल के अनुसार, "मुझे लगता है कि 1991 ज्यादा महत्वपूर्ण वर्ष है। सन 1947 से 1991 के बीच तो अपनी उस ऐतिहासिक गलती को सुलझाने में लगा रहा जो उसने ग्यारहवीं सदी में की थी।"
अपनी किताब में उन्होंने आशा प्रकट की है कि सन 2020 तक भारत 90 फीसदी साक्षर राज्य बन जाएगा और वह विनिर्माण क्षमता के मामले में चीन को पीछे छोड़ देगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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