टाटा का जाना पश्चिम बंगाल की अर्थव्यस्था के लिए ठीक नहीं : अमर्त्य सेन
कोलकाता, 20 सितम्बर (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल में सिंगुर स्थित टाटा मोटर्स की छोटी कार 'नैनो' के निर्माणाधीन उत्पादन संयंत्र के विवादों में फंसने पर चिंता जताते हुए नोबल पुरस्कार प्राप्त अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा है कि टाटा के चले जाने से राज्य की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
सेन के मुताबिक राज्य सरकार की ओर से नैनो परियोजना में जमीन देने वाले किसानों के लिए हाल ही में घोषित नया मुआवजा पैकेज न्यायसंगत है।
स्थानीय समाचार पत्र 'आनंदबाजार पत्रिका' में प्रकाशित एक पत्र में सेन ने कहा, "टाटा के चले जाने की स्थिति में यह राज्य (पश्चिम बंगाल) मोटर फैक्ट्री और इससे जुड़ी सहायक इकाइयों से संबंधित निवेश तो खो ही देगा साथ ही पूरे देश में इस राज्य की छवि भी खराब हो जाएगी।"
उन्होंने कहा, "इससे संदेश जाएगा कि यहां की राजनीति किसी भी आर्थिक पहल को असंभव बना देती है और उद्योगों को खतरे में डाल देती है।"
सेन ने कहा कि वे नहीं समझते कि नैनो परियोजना में जरूरत से ज्यादा जमीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। उनके मुताबिक राज्य में मौजूद कुल कृषि भूमि का एक मामूली हिस्सा ही इस परियोजना में इस्तेमाल किया जा रहा है।
गौरतलब है कि कोलकाता से लगभग 40 किलोमीटर दूर हूगली जिले के सिंगुर में एक लाख रुपये की कीमत वाली नैनो कार के निर्माणाधीन उत्पादन संयंत्र का काम फिलहाल ठप पड़ा है।
इस परियोजना के लिए सरकार ने कुल 997.11 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। लेकिन तृणमूल कांग्रेस और किसानों के संगठन कृषि जमीं जिबिका रक्षा कमेटी (केजेजेआरसी) का कहना है कि इसमें से 400 एकड़ जमीन किसानों से उनकी मर्जी के खिलाफ ली गई है, लिहाजा यह जमीन उन्हें लौटा दी जानी चाहिए।
लेकिन सत्ताधारी वाम मोर्चे ने किसानों की मांग मानने से इंकार कर दिया है और उनके लिए मुआवजे के नए पैकेज की घोषणा की है, लेकिन ज्यादातर किसानों ने यह पैकेज स्वीकार करने से मना कर दिया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
*