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अमेरिका ने गुजरात, राजस्थान के धर्मातरण विरोधी कानूनों की निंदा की

By Staff
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वाशिंगटन, 20 सितम्बर (आईएएनएस)। अमेरिका ने राजस्थान और गुजरात सरकार द्वारा धर्मातरण विरोधी कानूनों को पारित करने या उनमें संशोधन किए जाने की आलोचना की है, जबकि यह स्वीकार किया है कि भारत सरकार सामान्यत: धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करती है।

वाशिंगटन, 20 सितम्बर (आईएएनएस)। अमेरिका ने राजस्थान और गुजरात सरकार द्वारा धर्मातरण विरोधी कानूनों को पारित करने या उनमें संशोधन किए जाने की आलोचना की है, जबकि यह स्वीकार किया है कि भारत सरकार सामान्यत: धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करती है।

अमेरिकी विदेश विभाग की वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान की गई है और भारत सरकार व्यवहार में इसका सम्मान करती है।

कांग्रेस द्वारा स्वीकृत इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ राज्य सरकारों ने जिनमें राजस्थान और गुजरात शामिल हैं , धर्मातरण विरोधी कानून पारित किए हैं या उनमें संशोधन किया है।

रिपोर्ट को जारी करते हुए विदेशमंत्री कोंडोलिजा राइस ने कहा, "राष्ट्रों को केवल अपने पड़ोसियों के साथ ही नहीं वरन अपने देश में शांति रखनी चाहिए। इसका अर्थ विविधता का सम्मान और इसे कानून से संरक्षित करना है।"

यह रिपोर्ट एक जुलाई 2007 से 30 जून 2008 के बीच की समयावधि के लिए है। रिपोर्ट में बर्मा, चीन, उत्तर कोरिया, ईरान, सउदी अरब, इरीट्रिया, सूडान और उजबेकिस्तान को ऐसे देशों के रूप में रेखांकित किया गया है जहां धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति ठीक नहीं है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि मलेशिया, ग्रीस और इजरायल ऐसे कानूनों को लागू किए हुए हैं, जो शंतिपूर्ण धर्मातरण पर रोक लगाते हैं।

जहां अन्य देशों ने धर्मातरण विरोधी कानून पारित किए हैं, वहीं भारत के 28 में छह राज्यों ने धर्मातरण विरोधी कानून लागू कर रखे हैं। इनमें छठवें राज्य ने तो इस रिपोर्ट की अवधि में ही यह कानून बनाया है।

भारत के संदर्भ में इसमें कहा गया है कि वहां प्रत्येक धर्म के अधिकांश नागरिक शांतिपूर्वक साथ-साथ रहते हैं। बहरहाल वहां के कुछ इलाकों में अल्पसंख्यकों पर संगठित सामाजिक हमलों की सूचना मिली है। राज्य पुलिस और अन्य एजेंसियां ऐसे मामलों पर तेजी से और पर्याप्त कार्रवाई नहीं करती हैं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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