सिमी का खजांची 10 दिनों की पुलिस हिरासत में (लीड-1)
भोपाल, 20 सितंबर (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के मिसरौद क्षेत्र से शुक्रवार को गिरफ्तार किए गए प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के खजांची (कोषाध्यक्ष) मोहम्मद अली को भोपाल न्यायालय ने 10 दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया है। पुलिस को उम्मीद है कि वह अली से कई राज उगलवा सकती है।
जबलपुर का रहने वाला अली सिमी के लिए धन जुटाने का काम करता था। पुलिस को लंबे अरसे से उसकी तलाश थी। उसके ऊपर 15 हजार रुपये का इनाम भी था। पिछले दिनों अहमदाबाद और दिल्ली में हुए बम धमाकों में भी अली का नाम सामने आया था। उसी के बाद से अली की तलाश तेज कर दी गई थी।
मध्यप्रदेश में हाल ही में गठित किए गए आतंकवाद विरोधी दस्ते ने भोपाल पुलिस के साथ मिलकर शुक्रवार की देर रात मिसरौद थाना क्षेत्र से अली को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की। अली के पास से पुलिस ने आपत्तिजनक साहित्य और सिमी से जुड़े दस्तावेज बरामद किए हैं।
भोपाल के पुलिस महानिरीक्षक शैलेंद्र श्रीवास्तव और आतंकवाद विरोधी दस्ते के प्रमुख पवन श्रीवास्तव ने संयुक्त रूप से संवाददाताओं से चर्चा के दौरान मोहम्मद अली की गिरफ्तारी की पुष्टि की। दोनों पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सिमी से जुड़े लोगों की लंबे अरसे से तलाश चल रही है। इसी के तहत चल रही कोशिशों का ही नतीजा है कि मोहम्मद अली पुलिस के हत्थे चढ़ा है। उसे शनिवार को न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी आऱ पी़ सोनकर की अदालत में पेश किया गया। अदालत ने उसे 29 सितंबर तक पुलिस रिमांड पर भेजने का आदेश दिया।
जानकारी के मुताबिक मोहम्मद अली जबलपुर कभी-कभार ही जाता था। उसका मुख्य ठिकाना नरसिंहपुर था। वह अपने नाम बदल-बदल कर काम किया करता था। उसने कई स्थानों पर सूफिया, जमाल, जिया, यासिर, अबू जफर, और अफजल के तौर पर अपनी पहचान बनाई। उसके खिलाफ धार के पीथमपुर और जबलपुर में पांच प्रकरण दर्ज हैं।
अली को पकड़ने के लिए बनाई गई रणनीति का खुलासा करते हुए पुलिस अधिकारियों ने बताया कि उसका हुलिया काफी बदल चुका है। इसके लिए पुलिस बल ने खासा तैयारी की। उसकी गतिविधियों पर नजर रखी गई। एस़ टी़ एफ और ए़ टी़ एस़ के अतिरिक्त मध्यप्रदेश पुलिस ने अभियान चलाकर अली तक पहुंचने में कामयाबी हासिल की।
पुलिस के मुताबिक अली के खिलाफ पहला प्रकरण 2001 में दर्ज किया गया था। उसके बाद अली के खिलाफ 4 और मामले दर्ज हुए।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।