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अमेरिका परमाणु ईंधन की आपूर्ति के लिए बाध्य नहीं (लीड-1)

By Staff
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वाशिंगटन, 19 सितम्बर (आईएएनएस)। अमेरिका ने जोर देकर कहा है कि भारत-अमेरिकी परमाणु समझौते के तहत भारत को परमाणु ईंधन की आपूर्ति के लिए वह राजनीतिक रूप से प्रतिबद्ध है, लेकिन ऐसा करने के लिए कोई कानूनी बाध्यता नहीं है।

अमेरिका के विदेश उपमंत्री विलियम बर्न्‍स ने कहा, "राष्ट्रपति (जॉर्ज बुश) ने जो प्रतिबद्धता जताई है उसे 123 समझौते में शामिल किया गया है, यह सत्यनिष्ठ प्रतिबद्धता है।"

बर्न्‍स ने कहा, "अमेरिकी कांग्रेस से भारत-अमेरिकी नागरिक परमाणु समझौते को मंजूरी देने की मांग करते हुए 10 सितंबर को बुश भी यह स्पष्ट कर चुके हैं।" उन्होंने कहा कि ये राजनीतिक प्रतिबद्धताएं हैं। हम भारत को नियमित रूप से पर्याप्त परमाणु ईंधन की आपूर्ति सुनिश्चित करने का प्रयास करते रहेंगे, लेकिन इसके लिए हम कानूनन बाध्य नहीं होंगे।

उन्होंने कहा कि इस समझौते के तहत भारत को विशेष उत्पाद बेचने के लिए अमेरिकी कंपनियों को कानूनन बाध्य नहीं किया जा सकता।

गौरतलब है कि भारत और अमेरिका के बीच असैनिक परमाणु समझौता अमेरिकी कांग्रेस में पेश किया जा चुका है और यह मंजूरी के अंतिम चरण में है। इसके बावजूद परमाणु ईंधन की आपूर्ति और भारत के परमाणु परीक्षण के अधिकार के मसले पर बुश प्रशासन ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है।

इन मसलों से जुड़े कई सवालों पर गुरुवार को समझौते के निरीक्षण के लिए सीनेट की विदेश संबंध समिति की बैठक में सरकारी पक्ष स्पष्ट जवाब देने से बचने की कोशिश करता रहा।

ईंधन आपूर्ति के आश्वासन पर बर्न्‍स ने 'राजनीतिक प्रतिबद्धता' और 'कानूनी बाध्यता' के बीच अंतर करते हुए कहा कि 123 समझौता इसके लिए एक कानूनी ढांचा उपलब्ध कराता है, लेकिन अमेरिका इसके पालन के लिए बाध्य नहीं है।

इस बीच ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अगले हफ्ते की अमेरिका यात्रा के पहले नहीं तो सितंबर के अंत तक परमाणु समझौते पर मुहर लग जाएगी।

इस संबंध में सकारात्मक परिणाम की संभावनाएं गुरुवार को तब सामने आईं जब सीनेट की विदेश मामलों की समिति की सुनवाई में डेमोक्रेट सीनेटर क्रिस डॉड ने इस 'ऐतिहासिक' समझौते को मंजूरी देने को कहा।

समिति के अध्यक्ष और उपराष्ट्रपति पद के डेमोक्रेटिक उम्मीदवार व्यस्तता की वजह से सुनवाई में उपस्थित नहीं थे। उनके स्थान पर समिति की सुनवाई की अध्यक्षता कर रहे डॉड ने कहा, "अगले वर्ष तक इंतजार करने के बजाय हम इस समझौते को इसी महीने मंजूर करने की सलाह देंगे।"

डॉड ने कहा कि भारत के साथ परमाणु समझौता 'त्रुटिहीन' नहीं है, लेकिन इसे स्वीकृत किया जाना दोनों देशों के संबंधों में एक मील का पत्थर होगा, और हमें इसे स्वीकृति देनी चाहिए।

डॉड का बयान समझौते को 26 सितम्बर से पहले कांग्रेस में मंजूरी दिलाने के बुश प्रशासन के कड़े प्रयासों को मिल रहे दोनों दलों के समर्थन से जुड़ा है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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