बनारस में निर्मल गंगा के लिए बंदर भोज (लीड-1)
बंदर भोज का आयोजन गंगा सेवा महासंघ द्वारा किया गया था। गंगा प्रेमियों का मानना है कि वे इस भोज के जरिये हनुमान जी को प्रसन्न कर रहे हैं और यदि वे प्रसन्न हो गए तो गंगा की अविरलता को पुन: लाने में उनकी मदद करेंगे।
इस बंदर भोज का मकसद बताते हुए आयेजक डा. अशोक सिंह ने बताया कि हनुमान जी रुद्र के अवतार माने जाते हैं और रुद्र शंकर के रूप माने जाते हैं। गंगा के अवतरण में शंकर जी की प्रमुख भूमिका है, यह सभी को पता है। आज फिर गंगा की अविरलता के लिए भगवान शंकर की जरूरत महसूस की जाने लगी है। डा. सिंह ने बताया कि इस कलियुग में हनुमान ही ऐसे देवता हैं जिनका साक्षात्कार हो सकता है। इसलिए हम लोगों ने हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए बंदर भोज का आयोजन किया है।
वाराणसी के संकट मोचन मंदिर में हुए इस अनोखे भोज में सिर्फ फलों की ही व्यवस्था की गयी थी, जिसमें 101 दर्जन केला, 25 किलो सेब, 15 किलो अमरुद और 7 किलो अनार एक जगह पर रख कर वहां से सभी को थोड़ी देर के लिए हटा दिया गया। बंदरों की इस दावत को देखने के लिए वहां देखते ही देखते भारी भीड़ जुट गयी।
आयोजन समिति के सदस्य वहां खडी भीड़ को गंगा के ऊपर आये संकट के बारे में बताकर जनजागरण कर रहे थे। इस भोज के सहयोगी लक्ष्मण दास ने बताया कि गंगा की रक्षा के लिए हम लोग हर सम्भव प्रयास कर रहे हैं और सभी प्रयासों का सिर्फ एक ही मकसद है कि गंगा की अविरलता और निर्मलता को फिर से वापस लाया जाए।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।