कैबिनेट की बैठक में आतंकवाद के खिलाफ कड़े कानूनों पर विचार (लीड-1)
नई दिल्ली, 17 सितम्बर (आईएएनएस)। देशभर में आतंकवादी घटनाओं में हुई वृद्धि के मद्देनजर बुधवार शाम को बुलाई गई केंद्रीय कैबिनेट की विशेष बैठक में आतंकवाद निरोधी कठोर कानून की संभावनाओं पर चर्चा की गई। बैठक में आतंकवाद का मुकाबला करने के संबंध में एक प्रस्तुतीकरण पेश किया गया।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए कड़े प्रावधानों वाले संभावित कानूनों पर विचार किया गया जिससे जांच एजेंसियों को आतंकवाद का मुकाबला करने में किसी तरह की परेशानी न हो।
हालिया दिनों नई दिल्ली, अहमदाबाद, बेंगलुरू और जयपुर में हुई आतंकवादी घटनाओं को ध्यान में रखकर ही कड़े प्रावधानों और कानूनों पर विचार किया गया।
एक उच्च पदस्थ सूत्र ने पहचान न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम.के. नारायणन ने बैठक के दौरान एक प्रस्तुतीकरण भी दिया।
सूत्र ने कहा कि आतंकवाद पर लगाम के लिए प्रस्तावित संघीय एजेंसी के गठन के मुद्दे पर सहमति बनाने में वक्त लग सकता है क्योंकि कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी रज्य सरकार की होती है और इस तरह की एजेंसी के गठन के लिए राज्य सरकार की सहमति भी लेनी जरूरी है।
इससे पहले राजधानी में राज्यपालों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए कड़े कानून बनाए जाने पर जोर दिया, लेकिन उन्होंने संघीय जांच एजेंसी के गठन के प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
उन्होंने कहा, "आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए हम कड़े कानून बनाए जाने पर गंभीरता से काम कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा, "यह जरूरी नहीं है कि संघीय जांच एजेंसी का ही गठन किया जाए। यह एक केंद्रीय जांच एजेंसी भी हो सकती है जो राज्यों के साथ आतंकवाद संबंधी घटनाओं की जांच में सहयोग करेगी।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में पहले से ही कई जांच एजेंसियां काम कर रही हैं। इसलिए किसी नई जांच एजेंसी के गठन की आवश्यकता नहीं है। मौजूदा जांच एजेंसियों में बेहतर समन्वय की जरूरत है।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली में शनिवार को हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में 24 लोगों की मौत हो गई थी और 100 लोग घायल हो गए थे।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।