भारत के साथ नेपाल का रिश्ता खास : प्रचंड
प्रचंड का यह आश्वासन उस वक्त आया है जब कयास लगाए जा रहे हैं कि माओवादी सत्ता के अधीन नेपाल का झुकाव चीन की तरफ बढ़ रहा है। प्रचंड ने कल प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात कर व्यापक द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की। इनमें आर्थिक और ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने और बाढ़ व जल प्रबंधन जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की गई।
सुत्रों के मुताबिक 54 वर्षीय माओवादी नेता ने मनमोहन सिंह को आश्वस्त किया कि उनका देश भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत बनाने का इच्छुक है और दोनों देशों के बीच संबंध विशेष है जिसकी तुलना किसी अन्य देश के साथ संबंधों से नहीं की जा सकती।
प्रचंड ने प्रधानमंत्री से 1950 की भारत-नेपाल मैत्री संधि के बारे में भी बात की। उन्होंने मनमोहन सिंह से कहा कि इस संधि की समीक्षा की जरूरत है। मनमोहन सिंह ने नेपाल में जारी लोकतांत्रिक और आर्थिक सुधारों में भारत के सहयोग के प्रति प्रचंड को आश्वस्त किया। साथ ही उन्होंने बाढ़ की तबाही को रोकने के लिए सहयोग करने का आश्वासन दिया।
भारत मंगलवार को नेपाल में बाढ़ से मची तबाही के लिए एक पैकेज की घोषणा कर सकता है। नेपाली प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात की।
इससे पहले एक व्यापारिक सम्मेलन में प्रचंड ने दोनों देशों के बीच संबंधों को 'सौहार्दपूर्ण एवं महत्वपूर्ण' बताया। जब उनसे पूछा गया कि दो पड़ोसी देशों के साथ नेपाल कैसा संबंध रखना चाहता है तो उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच तुलना का कोई सवाल ही नहीं है।
उन्होंने कहा कि नेपाल भारत के साथ समृद्ध और विकसित होना चाहता है। प्रचंड ने कहा कि व्यापार विकास का वाहक है और आर्थिक विकास की तेज गति से उनके देश में शांति और स्थायित्व कायम होगा।
उन्होंने भारतीय औद्योगिक घरानों को नेपाल में संयंत्र लगाने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास में तेजी लाने के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापित किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार का मुख्य मकसद अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है। बिहार में कोसी नदी के कारण आई बाढ़ के बारे में प्रचंड ने कहा, "इस समय हमें समस्या का समाधान तलाशने और तटबंधों की दरारों को पाटने की जरूरत है।"
इंडो-एशियन
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