बगैर कठोर कानून के संघीय एजेंसी का औचित्य नहीं : भाजपा
नई दिल्ली, 16 सितम्बर (आईएएनएस)। आतंकवाद से निपटने के लिए संघीय जांच एजेंसी की स्थापना किए जाने के प्रशासनिक सुधार आयोग (एआरसी) के प्रस्ताव को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने नामंजूर कर दिया है। भाजपा का कहना है कि पर्याप्त कानूनी प्रावधानों के बगैर संघीय जांच एजेंसी की स्थापना को कोई औचित्य ही नहीं है।
पार्टी प्रवक्ता राजीव प्रताप रूड़ी ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा, "पोटा जैसे आतंकवादी विरोधी कड़े कानून के बगैर संघीय जांच एजेंसी की स्थापना करने का कोई औचित्य नहीं है। संघीय जांच एजेंसी के गठन से क्या होगा जब तक कि आतंकवादियों के खिलाफ कठोर कानून का प्रावधान नहीं होगा।"
भाजपा ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) में ही अलग से आतंकवाद विरोधी प्रकोष्ठ बनाए जाने की एआरसी की सिफारिशों को खारिज कर दिया। पार्टी प्रवक्ता ने कहा, "आज की तारीख में सीबीआई पर से लोगों का भरोसा उठ चुका है। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के अधीन सीबीआई की क्वोत्रोची और चारा घोटाले समेत अन्य कई मामलों में भूमिका को लेकर सवाल उठते रहे हैं। ऐसे में सीबीआई में अलग प्रकोष्ठ बनाए जाने की बात भी बेमानी साबित होगी।"
इससे पहले रूड़ी ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को यह सफाई देनी पड़ेगी कि आखिरकार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम. के. नारायणन द्वारा आतंकवाद के खिलाफ कठोर कानून बनाए जाने और भाजपा शासित राज्यों की संगठित अपराध के खिलाफ कानून बनाए जाने की मांग स्वीकार करने के सुझाव को गृह मंत्रालय ने ठुकरा क्यों दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि जिस गृह मंत्री को हटाए जाने की मांग संप्रग के सहयोगी दल ही करने लगे हैं, वैसे गृह मंत्री को क्या वे सरकार में बनाए रखना चाहते हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।