गंगा को बचाने की मुहिम में जुटे वाराणसीवासी
वाराणसी, 16 सितम्बर (आईएएनएस)। 'हम सबने ठाना है मां गंगा को बचाना है।' वाराणसी में आजकल यही नारा चारों तरफ गूंज रहा है। कहीं कोई 60 दिनों के अनशन पर बैठा है तो कहीं कोई अपने खून से गंगा की अविरल धारा की कहानी लिखने की कोशिश कर रहा है।
गंगा को बचाने के इस अभियान में साधु, संत, बच्चे, बूढ़े, जवान तथा यहां तक कि तमाम स्थानीय नेता भी इस कार्य में शामिल हैं। इसी प्रयास में सोमवार को वाराणसी में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने एक विराट रैली संकट मोचन मंदिर के मुख्य द्वार से निकाली। रैली में गंगा को निर्मल व अविरल करने और इसे राष्ट्रीय नदी घोषित करने की मांग की गई।
रैली में हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए। वे हाथों में आकर्षक तख्तियां लिए हुए थे। उस पर निर्मल जल अविरल हो धार, गंगा राष्ट्रीय नदी है यह करो स्वीकार, हम सबने ठाना हैं मां गंगा को बचाना हैं आदि नारे लिखे हुए थे। यात्रा संकटमोचन, लंका, नगवा चुंगी होते हुए पुन: संकटमोचन आकर धर्मसभा में तब्दील हो गई।
सभा में सभी ने गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करने और इसकी धारा को अविरलता प्रदान करने की मांग तो की। सभी ने कहा कि गंगा के अस्तित्व पर ही संकट के बादल मंडराने लगे हैं। रैली के नेतृत्वकर्ता स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया कि जब भारत सरकार गंगा को राष्ट्रीय प्रतीक अधिनियम के अंतर्गत राट्रीय नदी का दर्जा दे देगी, तो इससे गंगा की अविरल धारा की जिम्मेदारी भारत सरकार की हो जाएगी।
राष्ट्रीय नदी घोषित होने के बाद गंगा को भी वही सम्मान मिलने लगेगा जो सम्मान राष्ट्रीय तिरंगे, राष्ट्रीय पक्षी मोर और राष्ट्रीय पशु बाघ को मिलता है।
सामाजिक संस्था संकल्प के अध्यक्ष अनिल जैन ने कहा है कि गंगा सिर्फ एक नदी नहीं है बल्कि यह हमारे धार्मिक व आध्यात्मिक श्रद्धा का केन्द्र भी है। आने वाली पीढ़ियों तथा समाज के हित को देखते हुए गंगा को निर्मल व अविरल बनाने का हर संभव प्रयास हम सभी को करना चाहिए।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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