एशिया में जारी रहेंगे भूकंप
विशेषज्ञों की मानें तो एशिया में भूकंपों का दौर अब लगातार जारी रहेगा। पिछले तीन महीने से भारत, चीन और इंडोनेशिया समेत एशिया के कई हिस्सों में लगातार भूकंपों का दौर जारी भी है। भूगर्भशास्त्रियों के मुताबिक हिमालयन जोन सीसमिक एक्टिव जोन में आ गया है, जिस कारण भूकंप की संभावनाएं लगातार बनी रहेंगी। हालांकि इन भूकंपों का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है।
इससे पहले उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मलीहाबाद इलाके में जून में धरती फटने से हड़कंप मच गया। ऐसी ही घटना मिर्जापुर समेत पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में हुई।
उत्तर प्रदेश में धरती फटने की घटनाओं के बाद तमाम कयास लगाये जाने लगे। कई विशेषज्ञों ने भूकंप और धरती फटने की घटनाओं का सबसे बड़ा कारण भूगर्भ जल का अधिक दोहन बताया। कई ने कहा कि तेज गर्मी के कारण ऐसा हुआ है, लेकिन भूगर्भशास्त्रियों की मानें तो यह भूगर्भ जल के अधिक दोहन के कारण नहीं है।
लखनऊ विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ एडवांस स्टडीज इन जियोलॉजी के रीडर डा ध्रुव सेन सिंह की मानें तो धरती फटने की घटनाएं और पिछले कई दिनों से लगातार आ रहे भूकंपों का सबसे बड़ा कारण दक्षिणी एशिया की टेक्टॉनिक्स का खिसकना है।
उत्तर की ओर खिसक रहा भारत
बीजिंग ओलंपिक के दौरान चीन के कई प्रांतों में भूकंप आये। पिछले दिनों इंडोनेशिया, जापान, भारत, पाकिस्तान और चीन में लगातार हर तीसरे-चौथे दिन हलके झटके महसूस किये जा रहे हैं। इस बीच भारत के जम्मू-कश्मीर और मध्य उत्तर प्रदेश में भी हलके झटके महसूस किये गये। हालांकि कहीं से भी जान और माल को कोई क्षति नहीं पहुंची।
यदि इन झटकों के असली कारण की बात करें तो भूगर्भशास्त्री डा सिंह बताते हैं कि धरती के अंदर जिस टेक्टॉनिक पर भारत स्थित है, वो उत्तर की ओर खिसक रही है। उन्होंने बताया कि भारत 47 मिलीमीटर प्रति वर्ष की रफ्तार से उत्तर दिशा में खिसक रहा है। इस वजह से हिमालयन रीजन सीजमो एक्टिव जोन में आ गया है।
पूरा उत्तर भारत भूकंप के प्रति संवेदनशील
इंडियन मीटीरियोलॉजिकल डिपार्टमेंट के मुताबिक देश के कई हिस्से लगातार भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील माने जाते रहे हैं। डा सिंह के मुताबिक भूकंप के प्रति संवेदनाशीलता को देखते हुए भारत को चार जोन में बांटा गया है, जिसमें सबसे ज्यादा संवेदनशील जोन पांच है, जिसमें कश्मीर, पंजाब, पश्चिमी हिमालय और गुजरात के कुछ इलाके आते हैं।
वहीं डा ध्रुव सेन सिंह का कहना है कि भारतीय टेक्टॉनिक लगातार मूवमेंट को देखते हुए उत्तरी भारत के सभी हिस्से भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील हैं। उत्तर भारत में कभी भी भूकंप के झटकों का असर दिख सकता है। उन्होंने कहा कि किसी भी भूगर्भिक गतिविधि का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है, इसलिए समय नहीं बताया जा सकता है। रही बात एशिया के अन्य इलाकों में भूकंप की तो वो अभी जारी रहेंगे।