गायत्री परिवार ने इफ्तार पार्टी के जरिये दिया एकता का पैगाम
वाराणसी, 12 सितम्बर (आईएएनएस)। वाराणसी में गायत्री परिवार के लोगों ने रोजेदार भाइयों के लिए इफ्तार पार्टी का आयोजन किया। खास बात यह थी कि इस इफ्तार पार्टी में मुसलमानों के अलावा हिंदू, सिख और ईसाई समुदाय के लोग भी बड़ी शिद्दत के साथ शिरकत कर रहे थे।
इस इफ्तार पार्टी का आयोजन सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश देने के लिए गायत्री परिवार की तरफ से किया गया था। इस अवसर पर गायत्री परिवार के ट्रस्टी डा. रोहित गुप्ता ने कहा कि आज के इस दूषित माहौल में इस तरह के सहभोज की बहुत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक पार्टियां चंद वोटों की खातिर दोनों समुदायों के बीच में मजहबी दीवारें खड़ी करके अपना उल्लू सीधा करने की फिराक में लगी हुई हैं जिसे हम लोग कामयाब नहीं होने देंगे।
वाराणसी के एक छोटे से नर्सिंग होम में बड़े मकसद के लिए दी गयी इस इफ्तार पार्टी की शुरुआत मगरीब की अजान के साथ खजूर से शुरु हुई, सामूहिक नमाज की इमामत मुफ्ती-ए-शहर मौलाना अब्दुल बातिन नुमानी ने पढ़ाई। नर्सिंग होम का सभागार थोड़ी देर के लिए इबादतगाह में तब्दील हो गया था। नमाज के बाद गायत्री परिवार के लोगों के अनुरोध पर रोजेदारों ने अल्पाहार लिया। इस अवसर पर अब्दुल बातिन नुमानी ने कहा कि ऐसे आयोजन से भाईचारगी, सांप्रदायिक सौहार्द तथा अमनो अमान का पैगाम लोगों तक पहुंचता है, जिसकी आज खास जरूरत है।
रोजेदारों को अपने हाथों से इफ्तार परोस रहे स्वामी आत्मानन्द गिरी प्रभु जी महराज ने कहा कि कोई भी धर्म मनुष्यता को जोड़ने के लिए बनाया गया है न कि तोड़ने के लिए। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से धरती के इंसानों ने धर्म का प्रयोग दो दिलों में वैमनस्यता फैलाने के लिए करने लगे हैं जिसे इसी तरह की भाईचारगी जोड़ सकती है।
ईसाई धर्म की तरफ से भाग लेने आये फादर सबस्टीन ने कहा कि अल्ला, ईश्वर, और गॉड सभी एक ही ईश्वर के नाम हैं। यहां हम लोंगो ने अपनी सुविधा के लिए अलग अलग नाम रख लिए हैं। रोजा के दिनों में बड़े नेताओं के द्वारा इफ्तार पार्टी देना आम चलन में आ गया है, लेकिन उस बड़ी पार्टी से न तो सौहार्द झलकता है और न ही किसी प्रकार की एकता। लेकिन यह इफ्तार पार्टी भले ही छोटी थी लेकिन इसमें एकता भी थी, भाईचारगी भी थी और सांप्रदायिक सौहार्द भी जिसकी आज देश को जरूरत भी है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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