राहुल गांधी देवरिया में बाढ़ पीड़ितों के बीच पहुंचे
देवरिया/गोरखपुर, 11 सितम्बर (आईएएनएस)। कांग्रेस महासचिव एवं अमेठी के सांसद राहुल गांधी गुरुवार को पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों से हटकर उत्तरप्रदेश के पूर्वांचल में गंडक की विभीषिका से जूझ रहे लोगों का दुख दर्द बांटने एकाएक देवरिया पहुंचे। वह देवरिया से कसया, तमकुही रोड होते हुए गंडक नदी के किनारे पिपराघाट भी गए।
राहुल गांधी ने नाव से नदी पार करने के बाद मोटरसाइकिल द्वारा आस-पास के इलाकों का दौरा किया और लोगों से उनकी परेशानी तथा राहत कायरें के विषय में जानकारी हासिल की। पिपराघाट से ही वे सीधे गोरखपुर के लिए रवाना हो गए। गांधी का कार्यक्रम गोरखपुर में बाढ़ पीड़ितों से मिलने तथा इन्सेफ्लाइटिस से जूझ रहे लोगों से उनकी समस्याएं जानने का था। दोपहर बाद तक राहुल गांधी देवरिया जिले के बाढ़ पीड़ितों से मिलने तथा समस्याएं जानने में ही व्यस्त रहे।
गंडक नदी उत्तरप्रदेश के पूर्वांचल तथा उत्तरी बिहार में हर साल भारी धन एवं जन हानि का कारण बनती रही है। इस वर्ष कोसी के प्रकोप के चलते गंडक से प्रभावित लोगों की समस्याएं नजरअंदाज होती रही हैं। गंडक नदी पर भी भारत-नेपाल सीमा पर भैसालोटन के निकट एक बैराज बना हुआ है, जिससे अतिरिक्त पानी के प्रवाह के कारण उत्तरप्रदेश व बिहार के कई जिलों में हर साल भारी तबाही होती रही है। यह बैराज 4 दिसम्बर 1959 को हुई भारत नेपाल संधि के तहत अस्तित्व में आया।
गोरखपुर इस वर्ष बाढ़ के साथ-साथ इन्सेफ्लाइटिस व अन्य जलजनित बीमारियों की चपेट में है जिससे हजारों लोग बीमारी का शिकार बन चुके हैं, जबकि सैकड़ों काल के गाल मे समा गए हैं। गोरखपुर में घाघरा के साथ साथ राप्ती नदी ने भी भारी तबाही मचाई है।
इस वर्ष गोरखपुर में अकेले राप्ती नदी की चपेट में आकर विस्थापित होने वाले की संख्या जहां दस हजार पार कर चुकी है वहीं मस्तिष्क ज्वर के विभिन्न मामलों में 1132 लोग अपना इलाज करा रहे हैं। 210 लोग मस्तिष्क ज्वर के चलते मौत के मुंह में समा चुके हैं।
गोरखपुर के जिला मलेरिया अधिकारी एवं मच्छरजनित रोगों के प्रभारी डा. ए.के. पाण्डेय बताते हैं कि बीमार लोगों में लक्षण तो जापानी इन्सेफ्लाइटिस से मिलते जुलते हैं, लेकिन इस वर्ष गोरखपुर से भेजे गये 337 नमूनों में से मात्र 10 मामलों में ही जापानी इन्सेफ्लाइटिस की पुष्टि हुई और केवल एक मौत जापानी इन्सेफ्लाइटिस के कारण होना बताया जा रहा है। इसकी पुष्टि भारतीय विषाणु विज्ञान अनुसंधान संस्थान पुणे द्वारा की जा चुकी है। अन्य सभी रोगी एक रहस्यमय जलजनित बीमारी के शिकार हैं जिसकी पुष्टि व इलाज अभी निर्धारित नहीं हो सका है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।