अफगानिस्तान में 7 साल बाद भी चुनौतियां बरकरार
वाशिंगटन, 11 सितम्बर (आईएएनएस)। अमेरिकी अगुवाई वाली गठबंधन सेना को अफगानिस्तान में कदम रखे सात साल हो गए हैं। इस दौरान उसके समक्ष नित नई चुनौतियां पनपती रहीं। आज भी अमेरिकी सेना और उत्तर अटलांटिक संधि संगठन(नाटो) सेना को आतंकवादियों से कड़ी टक्कर लेनी पड़ रही है।
अमेरिका में भी इराक और अफगानिस्तान को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा के नजरिए से चिंता देखने को मिली है। नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के प्रचार में भी अहम मुद्दा यही है।
अब तो अमेरिकी सैन्य अधिकारी ही अफगानिस्तान में अमेरिकी रणनीति को लेकर सवाल खड़े करने लगे हैं। अमेरिकी सेना के संयुक्त प्रमुखों के अध्यक्ष एडमिरल माइकल मुलेन ने हाऊस आर्म्ड सर्विसेज कमेटी को बताया कि वे इस बात से सहमत नहीं हैं कि अमेरिकी सेना को अफगानिस्तान में जीत मिल रही है।
दूसरी ओर अमेरिकी डेमोक्रेट्स को लगता है कि नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में बराक ओबामा को इराक और अफगानिस्तान के मुद्दे पर विजय मिल सकती है।
ओबामा पहले ही इस बात को कह चुके हैं कि वे इराक से सेना को हटाना शुरू करेंगे तो वहीं अफगानिस्तान में सैनिकों की संख्या बढ़ाएंगे। वे अफगानिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक अहम मोर्चा मानते हैं।
उधर, रिपब्लिकन उम्मीदवार जॉन मैक्के न का भी मानना है कि अफगानिस्तान में सैनिकों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।