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सिंगुर विवाद पर गठित समिति ने की दूसरे दौर की वार्ता

By Staff
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कोलकाता, 11 सितम्बर (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल में सिंगुर स्थित टाटा मोटर्स की छोटी कार नैनो के लिए विवादास्पद भूमि अधिग्रहण के मसले के अध्ययन के लिए गठित समिति ने गुरुवार को दूसरे दौर की चर्चा की। किसान प्रतिनिधियों ने चर्चा को सौहार्दपूर्ण बताया है।

चार सदस्यों वाली इस समिति ने बुधवार को सिंगुर जाकर नैनो परियोजना क्षेत्र का मुआयना किया था।

इस समिति के सदस्य और तृणमूल कांग्रेस के नेता रबींद्रनाथ भट्टाचार्य ने कहा, "हमने पूरे परियोजना परिसर का मुआयना किया और देखा कि कितनी जमीन खाली पड़ी है। हमने इस बारे में सरकार के प्रतिनिधियों के साथ विचार विमर्श किया है।"

भट्टाचार्य के अलावा इस समिति में किसान नेता बेचाराम मन्ना, पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास कारपोरेशन (डब्ल्यूबीआईडीसी) के प्रबंध निदेशक सुब्रत गुप्ता और हुगली की जिला मजिस्ट्रेट नीलम मीना शामिल हैं।

इस समिति का गठन रविवार को किया गया था। इस समिति को अगले सात दिन के भीतर रिपोर्ट देनी थी।

भट्टाचार्य ने कहा कि मन्ना ने नैनो परियोजना क्षेत्र में खाली पड़ी जमीन के बारे में समिति के सदस्य सरकार के प्रतिनिधियों के समक्ष एक प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि सरकार ने परियोजना क्षेत्र के अंदर की 300 एकड़ जमीन किसानों को लौटाने के बारे में कोई आश्वासन तो नहीं दिया, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि इस विवाद का हल निकल आएगा।

उन्होंने भरोसा जताया समिति सात दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट दे देगी।

यह समिति नैनो कार परियोजना के परिसर में ऐसी जमीन की पहचान करेगी जिसका इस्तेमाल नहीं किया गया है, या जिसे इस्तेमाल में नहीं लाया जाना है। समिति द्वारा चिह्न्ति जमीन किसानों को लौटाए जाने की मांग की जा रही है।

कोलकाता से लगभग 40 किलोमीटर दूर सिंगुर में नैनो परियोजना के लिए सरकार ने कुल 997.11 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। लेकिन तृणमूल कांग्रेस और किसानों के संगठन कृषि जमीं जिबिका रक्षा कमेटी (केजेजेआरसी) का कहना है कि इसमें से 400 एकड़ जमीन किसानों से उनकी मर्जी के खिलाफ ली गई है, लिहाजा यह जमीन उन्हें लौटा दी जानी चाहिए।

तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी इस मांग को लेकर पिछले महीने की 24 तारीख को अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गई थीं। प्रदर्शनकारियों द्वारा कथित रूप से संयंत्र के कर्मचारियों को डराए-धमकाए जाने की वजह से टाटा मोटर्स ने 28 अगस्त को संयंत्र में कामकाज बंद कर दिया था। लेकिन दोनों पक्षों के बीच रविवार को हुए समझौते के बाद इस विवाद के सुलझने की उम्मीद बढ़ी है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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