एनएसजी छूट 1980 के बाद सबसे बड़ा कूटनीतिक प्रयास : मलफोर्ड
नई दिल्ली, 9 सितम्बर (आईएएनएस)। परमाणु आपूर्ति समूह (एनएसजी) के देशों से भारत को अंतर्राष्ट्रीय परमाणु व्यापार की छूट दिलाने के लिए 1980 के बाद से सबसे बड़ा कूटनीतिक प्रयास किया गया है।
भारत में अमेरिका के राजदूत और भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के लिए बुश प्रशासन के खास वार्ताकार डेविड मलफोर्ड ने मंगलवार को पत्रकारों से यह बात कही।
मलफोर्ड ने कहा कि इसके लिए काफी पहले से प्रयास जारी थे। पिछले करीब ढाई साल से एनएसजी देशों के साथ वार्ता हो रही थी।
भारत को एनसजी से छूट मिलने के बाद पहली बार पत्रकारों से मुखातिब हुए मलफोर्ड ने कहा कि राष्ट्रपति जार्ज बुश, विदेशमंत्री कोंडालिजा राइस, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्टीफन हैडली और अमेरिकी प्रशासन के अन्य वरिष्ठ अधिकारी इस गतिविधि में लगे हुए थे।
उन्होंने कहा कि इसके लिए पूरी दुनिया के नेताओं के साथ सम्पर्क किया गया। जापान में जी-8 सम्मेलन में इस पर चर्चा की गई। उन्होंने एनएसजी के 45 सदस्य देशों की सहमति को असाधारण बताते हुए कहा, "यह भारत, अमेरिका और दोनों देशों के संबंधों के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।"
20-21 अगस्त को एनएसजी की बैठक में भारत को छूट नहीं मिलने पर, भारतीय समाचार पत्रों में अमेरिका द्वारा अधूरे मन से प्रयास किए जाने के संदेह की रिपोर्टों की ओर संकेत किए जाने पर मलफोर्ड ने कहा कि इनमें कोई सच्चाई नहीं है।
एनएसजी की बैठक में चीन की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कूटनीतिक जवाब देते हुए कहा, "चीन ने अंत में सही काम किया।"
उन्होंने अंतिम क्षणों में बुश द्वारा चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ को फोन करने के बारे में पूछने पर चुप्पी साध ली।
अमेरिकी राजदूत ने जोर दिया कि भारत को 'साफ छूट' मिली है लेकिन उन्होंने इस पर विस्तार से कुछ नहीं कहा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।