संसद सत्र में देरी पर वाम दल, बसपा व टीडीपी राष्ट्रपति से मिले
नई दिल्ली, 9 सितम्बर (आईएएनएस)। संसद के 14 वें सत्र के दूसरे भाग को अक्टूबर तक स्थगित करने के सरकार के निर्णय पर विरोध प्रकट करने के लिए वाम दलों, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से मुलाकात की।
संसद का अगला सत्र 17 अक्टूबर से 21 नवंबर तक होना है।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग ) सरकार पर संवैधानिक और संसदीय लोकतांत्रिक व्यवस्था को क्षति पहुंचाने का आरोप लगाते हुए, प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपते हुए देश की संवैधानिक व्यवस्था के विध्वंस को रोकने के लिए उनसे तुरंत हस्तक्षेप करने का आग्रह किया।
ज्ञापन में इन दलों ने कहा, "हमारी मांग है कि संसद के मानसून सत्र को तुरंत बुलाया जाए। शीतकालीन सत्र हमेशा की तरह नवंबर के दूसरे पखवाड़े में बुलाया जाना चाहिए।"
ज्ञापन में कहा गया है कि संसद सत्र का अभाव विधायिका के अधिकार और कार्यपालिका की जिम्मेदारी के खिलाफ है।
पाटिल से भेंट के बाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी (माकपा) के नेता और राज्यसभा सदस्य सीताराम येचुरी ने कहा कि संविधान का संरक्षक होने के नाते उनको इसकी रक्षा करनी होगी ।
येचुरी ने कहा कि सरकार संसद के प्रति जवाबदेह है और संसद जनता के प्रति। यदि संसद का मानसून सत्र समय पर आयोजित होता तो इससे बढ़ती महंगाई, बिहार की बाढ़, उड़ीसा में सांप्रदायिक हिंसा और कश्मीर संकट जैसी ज्वलंत समस्याओं को हल किया जा सकता था।
बसपा के राज्यसभा सदस्य सतीशचंद्र मिश्रा ने कहा कि यदि सरकार संसद में बहुमत में है तो वह सत्र बुलाने से क्यों पीछे हट रही है?
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के सांसद गुरुदास दासगुप्ता ने कहा कि सरकार ने जानबूझकर संसद का सत्र स्थगित किया है। उन्होंने कहा साल में कम से कम 100 दिन संसद चलनी चाहिए।
टीडीपी नेता येरन नायडू ने आरोप लगाया कि सरकार अमेरिका के एजेंडे पर काम कर रही है। भारतीय संसद के सत्र को बुलाने के बारे में अमेरिका निर्णय ले रहा है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।