ब्रिटेन में खुली चिता में जलाने की अनुमति चाहता है भारतीय
लंदन, 8 सितम्बर (आईएएनएस)। भारत में जन्में एक ब्रिटिश व्यक्ति ने हिंदू परंपरा के अनुसार खुली चिता में दाह संस्कार की अनुमति पाने के लिए ब्रिटिश कानून में बदलाव लाने के वास्ते न्यायालय से हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई है।
लंदन, 8 सितम्बर (आईएएनएस)। भारत में जन्में एक ब्रिटिश व्यक्ति ने हिंदू परंपरा के अनुसार खुली चिता में दाह संस्कार की अनुमति पाने के लिए ब्रिटिश कानून में बदलाव लाने के वास्ते न्यायालय से हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई है।
देवेंदर कुमार घई ने अपनी मौत के बाद खुली हवा में जलाने की अनुमति नहीं देने के न्यूकैसल शहर परिषद के अधिकारियों निर्णय को चुनौती दी है। वर्ष 2006 में स्थानीय प्रशासन ने ब्रिटेन में पहले स्वीकृत खुले शमशान स्थल के निर्माण के घई के प्रयासों को शमशान कानूनों का उल्लंघन बताकर रोक दिया था।
ब्रिटेन के 1902 के दाह संस्कार अधिनियम के अनुसार मानव शव किसी भवन के भीतर जलाया जाना चाहिए। उस भवन में मानव शरीर को जलाने उपयुक्त उपकरण लगे होने चाहिए। घई की दलील है कि खुली चिता में दाह संस्कार इस अधिनियम के दायरे के बाहर है। इस मामले की सुनवाई नवबंर में हो सकती है।
घई का कहना है कि खुली हवा में चिता जलाने का खर्च केवल 500 पाउंड आता है,जबकि यह नियमों के अनुसार चिता जलाने में 2000 पाउंड का खर्च आता है और वह चिता केवल आधे घंटे में समाप्त हो जाती है। जबकि खुली चिता दिन भर जलती है, जहां परिवार के लोग एकसाथ मिलकर एक दूसरे को ढांढस बंधा सकते हैं।
घई ने वर्ष 1934 से पहली बार ब्रिटेन में शवदाह क्रिया की भी जिम्मेदारी उठाई थी। गृह विभाग ने उन्हें एक राजकुमारी और नेपाली राजदूत की पत्नी शमशेर जंग की चिता को खुले में जलाने के लिए अधिकृत किया था।
घई ने 31 वर्षीय एक अवैध अप्रवासी राजपाल मेहता के शव को वर्ष 2006 में लंदन की एक नहर में पाए जाने के बाद एक अज्ञात स्थान पर उसकी भी चिता जलाई थी।
न्यूकैसल परिषद ने इस कार्य को अवैधानिक घोषित करके एक पुलिस फाइल शाही अभियोजक सेवा को भेजी थी। लेकिन अंतत: घई बिना मुकदमे के छूटने में सफल रहे।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।