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बिहार बाढ़ : जलस्तर में कमी आई, बीमारियों ने पांव पसारा (लीड-2)

By Staff
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कटिहार के फलका प्रखंड की सात पंचायतों में बरंडी नदी का पानी तबाही मचाये हुए है। कोढ़ा-फलका सड़क पर पानी के बहाव के कारण सड़क का कटाव शुरू है तथा इस पथ पर आवागमन भी ठप है।

कोसी में पानी घटने से क्षेत्र में लोगों की परेशानियां जरूर कम हुई हैं लेकिन अब महामारी फैलने की आशंका इन्हें परेशान करने लगी है। जानकारी के मुताबिक बाढ़ प्रभावित इलाकों में डायरिया तथा अन्य बीमारियों का कहर शुरू हो गया है।

सुपौल के छातापुर और त्रिवेणीगंज प्रखंडों तथा अररिया में सैकड़ों लोग डायरिया से पीड़ित बताये जाते हैं। डायरिया से कुछ क्षेत्रों में लोगों के मरने की भी सूचना है हालांकि अब तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पायी है।

उधर, भागलपुर के सहजा तटबंध के टूटने के बाद उत्पन्न बाढ़ की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। नवगछिया अनुमंडल के लगभग सभी गांवों में कमोबेश बाढ़ का पानी फैल गया है। भागलपुर के प्रमंडलीय आयुक्त अखिलेश्वर गिरी ने बताया कि सहजा तटबंध के मरम्मत का कार्य जारी है। उन्होंने माना कि उक्त तटबंध को मछुआरों ने काटा था तथा उनकी पहचान कर उन पर प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दे दिए गए हैं।

कटिहार के 10 प्रखंडों की 19 पंचायत के लोग अब भी बाढ़ के पानी के कारण जलालत की जिंदगी जी रहे हैं। वैसे पूर्णिया के बनमनखी, धमदाहा, बीकोठी, जानकीपुर जैसे इलाकों में बाढ़ का पानी घटा है परंतु कई क्षेत्रों की स्थिति अब भी वैसी ही बनी हुई है। बाढ़ आने के बाद टापू में तब्दील सहरसा जिले के पतरघट प्रखंड की स्थिति अब भी नाजुक बनी हुई है।

इस बीच लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के अध्यक्ष और केंद्रीय उर्वरक एवं रसायन मंत्री रामविलास पासवान ने एक बार फिर बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया। पासवान ने अररिया जिले के फारबिसगंज के दौरे के क्रम में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि उन्होंने अभी राजनीति छोड़ केवल बाढ़ पीड़ितों की मदद करने का ठान लिया है। उन्होंने अन्य राजनीतिक दल के नेताओं से भी आग्रह किया कि वे भी बयानबाजी को छोड़ बाढ़ पीड़ितों की सेवा में आगे आएं। उन्होंने कहा कि इस संबंध में लोजपा के नेताओं को भी स्पष्ट निर्देश दे दिया गया है।

राज्य के आपदा प्रबंधन राज्यमंत्री नीतीष मिश्र ने शनिवार को बताया कि सेना, नौसेना और राष्ट्रीय आपदा सुदृढ़ीकरण बल (एनडीआरएफ) के जवानों द्वारा चलाये जा रहे राहत एवं बचाव कार्य में अब तक आठ लाख 39 हजार 331 बाढ़ पीड़ितों को सुरक्षित निकाल लिया गया है।

उन्होंने बताया कि कोसी के कहर से प्रभावित पांच जिलों के अलावे 11 अन्य बाढ़ प्रभावित जिलों में भी राहत एवं बचाव कार्य जारी है। उन्होंने बताया कि अभी राज्य के सर्वाधिक प्रभावित पांच जिलों में सरकार द्वारा कुल 302 राहत शिविर चलाए जा रहे हैं।

नीतीश मिश्र ने आईएएनएस को बताया कि बाढ़ से सर्वाधिक प्रभावित पांच जिलों में चलाए जा रहे राहत शिविरों में चिकित्सा, आवास एवं भोजन की व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि अररिया में 51, सहरसा में 77, सुपौल में 43, मधेपुरा में 97 तथा पूर्णिया में 34 बाढ़ राहत शिविर चलाए जा रहे हैं।

मिश्र ने बताया कि इन जिलों में अब तक 682 चापाकल (हैंड पंप) लगाए गए हैं इनमें सुपौल जिले में सबसे अधिक 197 चापाकल लगाए गए हैं। इसके अतिरिक्त मधेपुरा में 117, अररिया में 107, सहरसा में 147 तथा पूर्णिया में 114 चापाकल लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि पांचों जिलों में 157 स्वास्थ्य शिविर भी स्थापित किए गए हैं। उन्होंने बताया कि मधेपुरा जिला में 28 स्वास्थ्य शिविरों की स्थापना की गई है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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