एनएसजी में भारत की उम्मीदें बरकरार
लेकिन अभी तक कोई ऐसे स्पष्ट संकेत नहीं मिल पाए हैं जिसके आधार पर कहा जा सके कि अंतरराष्ट्रीय परमाणु बाज़ार से भारत की दूरी ख़त्म होने वाली है जो पिछले 34 वर्षों से जारी है।
हाँ, ये ज़रूर कहा जा रहा है कि आज एक बार फिर इस पर चर्चा होगी. ऑस्ट्रिया, न्यूज़ीलैंड और आयरलैंड इस बात पर अड़े हैं कि परमाणु ईंधन, उपकरणों और परमाणु तकनीक के अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में भारत को बिना शर्त प्रवेश देना ठीक नहीं होगा।
इनका कहना है कि परमाणु अप्रसार संधि और व्यापक परमाणु परीक्षण निषेध संधि पर दस्तख़त किए बगैर भारत को इस तरह की छूट नहीं दी जा सकती।
ऐसी ख़बरें हैं कि चीन भी परोक्ष तरीके से इन तीनों देशों का समर्थन कर रहा है. चीन ने शुक्रवार को कहा था कि आख़िर भारत और अमरीका को इतनी जल्दी किस बात की है।
इस बीच ऑस्ट्रिया के विदेश मंत्री ने एक भारतीय टेलीविज़न चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा है कि उनका देश भारत-अमरीका परमाणु समझौते के महत्व को समझता है।
जहाँ तक परमाणु अप्रसार की बात है तो भारतीय विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी ने ये दोहरा कर एनएसजी के देशों को भरोसे में लेने की कोशिश की है भारत ने स्वेच्छा से परमाणु परीक्षणों पर रोक लगा रखी है।
एनएसजी
के
कुछ
सदस्य
देशों
को
भारत-अमरीका
परमाणु
क़रार
के
मसौदे
से
आपत्तियां
हैं।
लेकिन
भारत
इस
रुख़
पर
कायम
है
कि
भविष्य
में
परमाणु
परीक्षण
करने
पर
परमाणु
ईंधन
की
आपूर्ति
रोक
देने
के
प्रस्ताव
को
वह
समझौते
में
शामिल
नहीं
करेगा.
इस बात को लेकर ख़ुद भारत और अमरीका के बीच गहमागहमी बढ़ गई थी. ऐसा तब हुआ जब बुश प्रशासन का आंतरिक पत्राचार सार्वजनिक हुआ जिसमें ये लिखा था कि अगर भारत परमाणु परीक्षण करता है तो ईंधन आपूर्ति रोक दी जाएगी।
राह नहीं आसान
जानकार बताते हैं कि निर्णायक दौर में पहुँच चुकी इस बैठक के निर्णय के बारे में कोई भी कयास लगाना जल्दबाज़ी होगी। पर इतना तो माना जा रहा है कि भारत के लिए एनएसजी के सदस्य देशों के बीच आम सहमति बना पाना आसान नहीं है।
एनएसजी
के
छह
सदस्य
देश
भारत
को
परमाणु
ईंधन
उपलब्ध
कराए
जाने
के
मामले
पर
अमरीका
के
रुख़
से
सहमत
नहीं
हैं।
वियना
में
मौजूद
वरिष्ठ
पत्रकार
सिद्धार्थ
वरदराजन
का
कहना
है
कि
भारतीय
विदेश
मंत्री
प्रणव
मुखर्जी
की
घोषणा
के
बाद
माहौल
थोड़ा
बेहतर
हुआ
है,
मुखर्जी
ने
कहा
है
कि
परमाणु
परीक्षणों
पर
भारत
ने
स्वेच्छा
से
जो
रोक
लगा
रखी
है
वह
जारी
रहेगी
और
किसी
अन्य
देश
को
परमाणु
जानकारी
देने
का
सवाल
ही
नहीं
है।
इसके बाद शुक्रवार को विदेशमंत्री ने बातचीत के बारे में बताते हुए कहा कि अभी कोई भी आकलन जल्दबाज़ी है क्योंकि बातचीत अभी भी चल रही है।