भोपाल में गिद्ध प्रजनन संरक्षण केन्द्र शुरू
पिछले दिनों आई एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 1990 से 2002 तक गिद्धों की संख्या में 90 प्रतिशत कमी आई है। गिद्धों की गिरती संख्या से चिन्तित लोग अब संख्या बढ़ाने के काम को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसी क्रम में प्रस्तावित केन्द्र के लिए भोपाल के कैरवां क्षेत्र में पांच एकड़ भूमि का चयन कर लिया गया है।
गिद्धों की नौ प्रजातियां में से चार मध्यप्रदेश में पाए जाते है। इन गिद्धों का भोजन मृत जानवर हैं, जिसके कारण मांस के सड़ने-गलने से होने वाली बीमारियों से मानव जाति को मुक्ति मिलती है। जब से पालतू जानवरों के लिए एंटी इंलेमेटरी दवाइयां दी जाने लगी हैं तो इन जानवरों के मरने पर इसके मांस को खाने से गिद्धों की मौत हो जाती है।
इस केन्द्र में नर्सरी, अस्पताल और फ्रीजर रूम का निर्माण कराया जाएगा। प्राथमिक तौर पर केंद्रीय चिड़ियाघर दिल्ली से केन्द्र के लिए अनुमति भी मिल गई है। चयनित भूमि का निरीक्षण करने के लिए 'बांम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी' के वैज्ञानिक डा. विभु प्रकाश भोपाल आ रहे हैं।
वन विहार के सहायक संचालक ए़ क़े खरे ने बताया कि यह केन्द्र भोपाल में बन रहा है और इसके लिए प्रारंभिक तैयारियां भी जोर पकड़ चुकी है। गिद्धों की संख्या बढ़ाने में कैप्टिव ब्रीडिंग प्रमुख है, जिसमें संकट ग्रस्त प्रजातियों के जोड़ों को संरक्षित अवस्था में रखा जाता है और ब्रीडिंग कराए जाने के बाद उन्हें प्राकृतिक निवास स्थान में छोड़ दिया जाता है।