एनएसजी ने भारत का परमाणु वनवास खत्म किया (लीड-3)
विएना/नई दिल्ली, 6 सितम्बर (आईएएनएस)। परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) ने शनिवार को एक ऐतिहासिक फैसले में भारत के साथ परमाणु व्यापार की छूट दे दी। इसके साथ ही करीब तीन दशक से जारी भारत का परमाणु वनवास खत्म हो गया है।
परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं करने के बावजूद भारत के साथ परमाणु व्यापार की छूट देने संबंधी एनएसजी का यह फैसला तीन दिनों से जारी गहन कूटनीतिक प्रयासों के बाद आया है। फैसले का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इसे दूरदर्शी और महत्वपूर्ण करार दिया है, जबकि विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और वाम दलों ने सरकार की आलोचना करते हुए पूरा दस्तावेज मिलने तक अपने 'आक्रमण' को रोके रखने की बात कही है। भाजपा ने आज के दिन को 'ऐतिहासिक शर्म' करार दिया है।
विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी ने अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह छूट संसद को सरकार द्वारा दिए गए आश्वासनों के अनुकूल है।
एनएसजी की मंजूरी के तुरंत बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश ने मनमोहन सिंह को फोन किया। विएना में चल रही एनएसजी की बैठक के वक्त बुश ने शुक्रवार रात चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ को फोन कर समर्थन की मांग की थी।
मंजूरी के बाद भारत-अमेरिका परमाणु करार पर अंतिम मुहर लगाने के लिए इसे अमेरिकी कांग्रेस में पेश किया जाएगा, जिसकी बैठक आठ सितंबर से शुरू होगी। दोनों देश संभवत: सितंबर अंत में होने वाली प्रधानमंत्री मनमोहन सिह की यात्रा के दौरान करार पर औपचारिक हस्ताक्षर करेंगे। करार से 34 वर्षो के बाद दोनों देशों के बीच एक बार फिर परमाणु ईंधन और तकनीक का व्यापार शुरू हो सकेगा।
सन 1974 में भारत द्वारा किए गए पहले परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका और विश्व के अन्य देशों ने उसके खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया था। एनएसजी की मंजूरी मिलने के बाद फ्रांस और रूस के अलावा अन्य देशों के साथ भी भारत नागरिक परमाणु सहयोग समझौता करने के लिए स्वतंत्र हो गया है।
इस बीच विएना में विदेश सचिव शिव शंकर मेनन ने पत्रकारों से कहा, "हम समझते हैं कि यह एक ऐसा फैसला है जो भारत और एनएसजी के सदस्यों के बीच नागरिक परमाणु सहयोग को स्थापित करता है।" उन्होंने इससे ज्यादा प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया।
एनएसजी की बैठक खत्म होने के बाद वर्तमान अध्यक्ष जर्मनी की तरफ से कोई संवाददाता सम्मेलन नहीं किया गया। वह अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा आयोग (आईएईए) के माध्यम से मसौदे की प्रति जारी करेगा। छूट की घोषणा के बाद राजनयिकों ने गुलाब जामुन बांट कर एक दूसरे को बधाई दी।
इससे पहले एनएसजी के सदस्य देशों के समक्ष रखे गए अमेरिकी मसौदे पर शुक्रवार देर रात तक सर्वसम्मति नहीं बन पाने के कारण दो दिवसीय बैठक को तीसरे दिन के लिए टाल दिया गया था।
शुक्रवार देर रात तक समूह के सदस्य आस्ट्रिया, न्यूजीलैंड, नार्वे, स्विटरलैंड और नीदरलैंड तमाम राजनयिक कोशिशों के बावजूद भारत के साथ परमाणु व्यापार की छूट देने संबंधी अमेरिकी मसौदे पर सहमत नहीं हुए थे। उनकी मांग थी कि अगर भारत परमाणु परीक्षण करता है तो उसके साथ परमाणु व्यापार खत्म करने का अधिकार एनएसजी के पास होना चाहिए।
विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी ने नई दिल्ली में गुरुवार को एक बयान जारी कर कहा था कि भारत भविष्य में और परमाणु परीक्षण नहीं करने की स्वैच्छिक रोक पर कायम है। मुखर्जी के इस बयान से एनएसजी के 'भारत विरोधी' देशों को मनाने में सहूलियत हुई।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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