भारत का परमाणु वनवास खत्म, एनएसजी में मिली मंजूरी (लीड-2)
विएना, 6 सितम्बर (आईएएनएस)। परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) ने शनिवार को एक ऐतिहासिक फैसले में भारत के साथ परमाणु व्यापार की छूट दे दी। इसके साथ ही करीब तीन दशक से जारी भारत का परमाणु वनवास खत्म हो गया है।
परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं करने के बावजूद भारत के साथ परमाणु व्यापार की छूट देने संबंधी एनएसजी का यह फैसला तीन दिनों से जारी गहन कूटनीतिक प्रयासों के बाद आया है।
एनएसजी की मंजूरी मिलने के बाद भारत-अमेरिका परमाणु करार पर अंतिम मुहर लगाने के लिए इसे अमेरिकी कांग्रेस में पेश किया जाएगा, जिसकी बैठक आठ सितंबर से शुरू होगी।
दोनों देश संभवत: सितंबर अंत में होने वाली प्रधानमंत्री मनमोहन सिह की यात्रा के दौरान करार पर औपचारिक हस्ताक्षर करेंगे। इस करार से 34 वर्षो के बाद दोनों देशों के बीच एक बार फिर परमाणु ईंधन और तकनीक का व्यापार शुरू हो सकेगा।
सन 1974 में भारत द्वारा किए गए पहले परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका और विश्व के अन्य देशों ने उसके खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया था।
एनएसजी की मंजूरी मिलने के बाद फ्रांस और रूस के अलावा अन्य देशों के साथ भी भारत नागरिक परमाणु सहयोग समझौता करने के लिए स्वतंत्र हो गया है।
यूरोपीय संघ की बैठक में भाग लेने के लिए 30 सितंबर को फ्रांस रवाना हो रहे प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के दौरान फ्रांस के साथ परमाणु करार पर हस्ताक्षर किए जाने की पूरी तैयारी है।
रूस के साथ द्विपक्षीय परमाणु समझौते पर इस साल नवंबर में राष्ट्रपति दमित्री मेदवेदेव की नई दिल्ली यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए जाने की संभावना है।
इससे पहले एनएसजी के सदस्य देशों के समक्ष रखे गए अमेरिकी मसौदे पर शुक्रवार देर रात तक सर्वसम्मति नहीं बन पाने के कारण दो दिवसीय बैठक को तीसरे दिन के लिए टाल दिया गया था।
शुक्रवार देर रात तक समूह के सदस्य आस्ट्रिया, न्यूजीलैंड, नार्वे, स्विटरलैंड और नीदरलैंड तमाम राजनयिक कोशिशों के बावजूद भारत के साथ परमाणु व्यापार की छूट देने संबंधी अमेरिकी मसौदे पर सहमत नहीं हुए थे। उनकी मांग थी कि अगर भारत परमाणु परीक्षण करता है तो उसके साथ परमाणु व्यापार खत्म करने का अधिकार एनएसजी के पास होना चाहिए।
इस बीच गुरुवार को विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी ने नई दिल्ली में एक बयान जारी कर कहा कि भारत भविष्य में और परमाणु परीक्षण नहीं करने की स्वैच्छिक रोक पर कायम है। मुखर्जी के इस बयान से एनएसजी के 'भारत विरोधी' देशों को मनाने में सहूलियत हुई।
जो भी हो, मजबूत अमेरिकी दलीलों के आधार पर सबसे बड़े लोकतंत्र और उभरती अर्थव्यवस्था भारत के साथ परमाणु व्यापार की छूट देने संबंधी मसौदे को एनएसजी ने मंजूरी दे दी है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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