बिहार बाढ़ : प्रभावित क्षेत्रों में कोई सुधार नहीं
पटना, 5 सितम्बर (आईएएनएस)। बिहार के कई इलाकों में बाढ़ के पानी में कमी आने तथा कई अन्य में जलस्तर बढ़ने की वजह से शुक्रवार को भी स्थिति भयावह बनी रही। सेना के जवान बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव कार्यो में जुटे हैं तथा राज्य सरकार अनुबंध के आधार पर चिकित्सकों की नियुक्ति कर रही है।
जल संसाधन विभाग के अनुसार कोसी नदी के जल में कमी और वृद्धि का सिलसिला जारी है। बुधवार को कोसी बैराज से जहां कुल एक लाख चार हजार क्यूसेक पानी बह रहा था वहीं गुरुवार शाम को यह बहाव एक लाख तीस हजार क्यूसेक दर्ज किया गया।
उधर कुछ अन्य इलाकों में बाढ़ की स्थिति में ज्यादा सुधार नहीं हो पा रहा है। बाढ़ प्रभावित सहरसा एवं सुपौल जिले के कुछ क्षेत्रों में बाढ़ के पानी का जलस्तर एक बार फिर बढ़ गया है। मधेपुरा जिले में सेना द्वारा बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने का सिलसिला जारी है तो वहीं पूर्णिया और अररिया में बाढ़ की स्थिति जस की तस बनी हुई है।
पूर्णिया एवं धमदाहा के बीच मीरगंज के नजदीक एक किलोमीटर तक सड़क पर एक फुट से दो फुट तक बाढ़ का पानी बह रहा है। उधर, सहरसा-सोनबर्षा सड़क पर अब भी पानी का बहाव जारी है।
मधेपुरा के जिलाधिकारी राजेश कुमार ने आईएएनएस को बताया कि जिले के कुमारखंड, मुरलीगंज और ग्वालपाड़ा में कोसी का पानी बह रहा है। उन्होंने लोगों से बाढ़ प्रभावित इलाकों को छोड़कर जाने की सलाह दी है। उन्होंने बताया कि बाहर गए लोगों को भी अभी नहीं लौटना चाहिए।
उधर, भागलपुर जिले के खरीक प्रखंड के दादपुर गांव के पास टूटे सहजा बांध के मरम्मत का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। बताया जाता है कि इस बांध के टूटने से जिले के चार प्रखंडो में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। उधर, सहजा बांध का पानी श्रीपुर की खरकई नदी में उतर रहा है, इससे बाढ़ का खतरा बना हुआ है।
इधर, राज्य के आपदा प्रबंधन राज्यमंत्री नीतीश मिश्र ने आईएएनएस को बताया कि बाढ़ प्रभावित इलाकों से अब तक सात लाख 70 हजार से ज्यादा लोगों को बाहर निकाला जा चुका है। उन्होंने बताया कि अब भी 70 हजार से एक लाख लोग बाढ़ में फंसे हुए हैं। दो लाख, 78 हजार से अधिक विस्थापितों को राहत शिविरों में रखा गया है।
मिश्र ने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में वायुसेना के 11 हेलीकाप्टरों द्वारा अब तक 77, 375 खाने के पॉकेट गिराए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि राहत एवं बचाव कार्यो के लिए बाढ़ प्रभावित पांच जिलों में 256 राहत शिविर, 116 चिकित्सा शिविर तथा 65 पशु शिविर खोले गए हैं। उन्होंने बताया कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में चिकित्सकों की कमी को देखते हुए अन्य जिलों से चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति की जा रही है तथा अनुबंध पर भी चिकित्सक नियुक्ति की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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