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ईयू ने अल कायदा के संदिग्धों के अधिकारों का हनन किया: न्यायालय

By Staff
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लक्जमबर्ग, 4 सितम्बर (आईएएनएस)। यूरोप के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि यूरोपीय संघ (ईयू) ने अल कायदा के दो संदिग्धों को सूचित किए बगैर उनकी संपत्ति पर रोक लगाकर उनके मानवाधिकारों का हनन किया है।

लक्जमबर्ग स्थित यूरोप के सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को व्यवस्था दी कि अधिकारियों ने संदिग्धों को पहले ही चेतावनी दी होती तो वे दंड से बच सकते थे।

न्यायालय ने इस बात से सहमति प्रकट की है कि ईयू किसी की संपत्ति पर सिर्फ तीन महीने तक ही रोक लगा सकता है।

यूरोपीय आयोग ने इस निर्णय का स्वागत किया है कि न्यायालय ने इस तथ्य को स्वीकार कर लिया है कि ईयू के पास किसी उद्देश्य से व्यक्तिगत सम्पत्ति पर रोक लगाने का अधिकार है।

ब्रसेल्स के अधिकारियों ने कहा कि अब वे संदिग्ध आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई की जरूरत और बचाव पक्ष के अधिकारों के बीच संतुलन कायम करने के तरीके खोजने के लिए ईयू सरकारों के साथ मिलकर काम करेंगे।

समाचार एजेंसी डीपीए के अनुसार न्यायालय ने सऊदी अरब के व्यवसायी यासीन अबदुल्ला कादी और स्वीडन में स्थित अल बरक्कत फाउंडेशन की याचिका पर यह निर्णय दिया है। इन दोनों के नाम संयुक्त राष्ट्र की संदिग्ध आतंकवादियों की सूची में 2001 में दर्ज किए गए थे।

न्यायाधीशों ने अपने निर्णय में कहा कि कादी और बरक्कत को इस सूची में शामिल करने के प्रमाणों के बारे में सूचना नहीं दी गई, ऐसी स्थिति में वे अपने अधिकारों का सही तरीके से बचाव नहीं कर पाए।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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