बिहार बाढ़ : कहर बरकरार, तंबुओं की कमी से राहत कार्यो में बाधा (लीड-1)
नई दिल्ली, 4 सितम्बर (आईएएनएस)। बिहार में कोसी नदी की उफान में आई नरमी के बावजूद कई क्षेत्रों में बाढ़ का कहर जारी है। भागलपुर जिले में एक बांध में आई दरार के कारण कई इलाकों में पानी भर गया है। उधर, तंबुओं की भारी कमी के कारण सेना को राहत कार्यो में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
सेना की ओर से अभी तक महज 500 तंबू ही भेजे गए हैं, जिसमें 5000 लोग रह सकते हैं, जबकि बाढ़ से सूबे के 15 जिलों के 1598 गांवों के करीब 25 लाख लोग प्रभावित हुए हैं।
सेना के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर आईएएनएस को बताया, "सेना की ओर से केवल 500 तंबू ही उपलब्ध कराए गए हैं। सेना के पास तंबुओं की कमी है, क्योंकि हाल ही में चीन में आए भूकंप के दौरान भारत सरकार ने काफी तंबुओं को चीन भेज दिया था।"
अधिकारी के मुताबिक भारत ने चीन में 1752 तंबू भेजे हैं। बुधवार को उत्तरप्रदेश के कानपुर से 500 तंबू बिहार भेजे गए। एक तंबू में 10 से 12 लोग शरण ले सकते हैं।
अधिकारी ने बताया कि चीन भेजे गए तंबुओं को बनाने में दो से तीन साल लग गए थे। इन तंबुओं का निर्माण विशेष प्रकार से किया जाता है। ये बाजार में उपलब्ध नहीं होते। आदेश मिलने पर ही इन्हें तैयार किया जाता है। कानपुर स्थित आयुध कारखाने के सूत्रों का कहना है कि वे अगले तीन महीनों में आवश्यक संख्या में तंबुओं का निर्माण कर सकते हैं।
उधर, मधेपुरा, सुपौल, अररिया, पूर्णिया तथा सहरसा जिलों में भयानक तबाही मचाने के बाद कोसी का पानी भागलपुर के निचले इलाकों में प्रवेश कर गया है। जिले के खरीक प्रखंड के दादपुर और सिरीपुर गांव के बीच तीन माह पूर्व बने सहजा बांध में दरार आ जाने से नवगछिया अनुमंडल के बिहपुर और खरीक प्रखंड के 12 गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं।
भागलपुर प्रमंडल के आयुक्त अखिश्वर गिरी ने आईएएनएस को बताया कि बांध में दरार बढ़ने और पानी का बहाव ज्यादा होने से राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-31 और बरौनी-गुवाहाटी रेलखंड पर खतरा हो सकता है।
उधर, सुपौल जिले के प्रतापगंज एवं छातापुर प्रखंडों की सीमा पर बुधवार शाम मिरचिया नदी में नाव के पलटने से तीन लोग लापता हो गए।
इस बीच कोसी के जलस्तर में गिरावट जारी है। यद्यपि, पूर्णिया के अमौर व धमदाहा प्रखंडों में बाढ़ का कहर जारी है। सहरसा के पतरघट प्रखंड के दर्जनों गांवों में बाढ़ के पानी में हजारों लोग अब भी फंसे हुए हैं। मधेपुरा के शंकरपुर, मुरलीगंज, कुमारखंड, ग्वालपाड़ा, उदाकिशुनगंज प्रखंडों से बड़ी संख्या में लोगों के फंसे होने की सूचना मिल रही है। कटिहार में कोसी के जलस्तर में सात सेंटीमीटर की कमी दर्ज की गई है तो कुसहा में पानी घटने के बाद कोसी खतरे के निशान से दो मीटर नीचे आ गई है।
इधर, राज्य के आपदा प्रबंधन राज्य मंत्री नीतीश मिश्र ने आईएएनएस को बताया कि कोसी का पानी कुछ घटा है तथा गांवों की पहचान नक्शे के आधार पर की जा रही है। उन्होंने बताया कि करीब छह लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है और राहत शिविरों में करीब ढाई लाख से अधिक लोग रह रहे हैं।
इन सबके बीच प्रलयंकारी कोसी को उसकी मुख्यधारा में वापस लाने के कार्य में अब भारतीय वायुसेना भी जुटने जा रही है। इस विशेष कार्य के लिए रक्षा मंत्रालय के साथ-साथ नेपाल सरकार ने भी अपनी सहमति दे दी है।
जलसंसाधन विभाग के सचिव अजय नायक के मुताबिक नेपाल के कुसहा के समीप कटान स्थल पर बिहार सरकार के अभियंताओं के साथ- साथ हिन्दुस्तान स्टील वर्क्स कंस्ट्रक्शन लिमिटेड के अभियंता फिलहाल दोनों छोर पर बांध के बचाव में युद्धस्तर पर लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कियह कार्य तीन-चार दिनों में पूरा कर लिया जाएगा।
नायक ने आईएएनएस को बताया कि इसके बाद पायलट चैनल पर ब्लास्टिंग का कार्य शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि ब्लास्टिंग से नदी की मुख्यधारा में गहरा गड्ढा बनाया जाता है ताकि नदी अपनी धारा बदल दे। बाद में इसी गड्ढे में भारतीय वायुसेना पायलट गेविन (लोहे की तार में बंधे बोल्डर) को अपने विमान से सटीक उसी स्थान पर गिराएंगे, जिससे नदी की धारा को वर्तमान कटान स्थल की ओर बहने में अवरोध पैदा होगा।
नायक ने बताया कि इससे पूर्व नदी की धारा में तीन चैनल बनाकर कोसी के साथ बहने वाले गाद को नदी की बायीं ओर जमा करने की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि इसे अंजाम देने के लिए हिन्दुस्तान स्टील वर्क्स कंस्ट्रक्शन कंपनी तथा नेपाल की अमन कंस्ट्रक्शन कंपनी जुटी है।
नायक ने बताया कि उक्त सभी कार्य बाढ़ विशेषज्ञ इंजीनियर निलेन्दु सान्याल की अध्यक्षता में बनी समिति द्वारा पेश कार्ययोजना के आधार पर किए जा रहे हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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