बुश प्रशासन के 'गोपनीय पत्र' से परमाणु करार पर राजनीति गरमाई (लीड-1)
नई दिल्ली/वाशिंगटन, 3 सितम्बर (आईएएनएस)। परमाणु परीक्षण किए जाने की स्थिति में अमेरिकी द्वारा भारत को प्रौद्योगिकी की आपूर्ति रोकने संबंधी बुश प्रशासन के 'गोपनीय पत्र' के उजागर होने के बाद परमाणु करार को लेकर देश की राजनीति में नया बवंडर खड़ा हो गया है। खुलासे के बाद प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का इस्तीफा मांगा है।
पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी की ओर से जारी किए गए एक साझा बयान में कहा गया है कि इस पत्र ने मनमोहन सरकार की पोल खोल कर रख दी है।
बुश प्रशासन द्वारा अमेरिकी संसद के विदेश मामलों की समिति को 16 जनवरी 2008 को भेजे गए जवाबी पत्र से इन तथ्यों का खुलासा हुआ है। समिति के अध्यक्ष हार्वर्ड ली. बर्मन के पूर्ववर्ती टॉम लैनटॉस ने अक्टूबर 2007 में अमेरिकी विदेश विभाग से परमाणु करार से संबंधित 45 सवाल पूछे थे। इस संवाद को विदेश विभाग के अनुरोध पर पिछले नौ माह से गोपनीय रखा गया था।
बर्मन ने संवाद को मंगलवार को सार्वजनिक किया था, जिसे बुधवार को समाचार पत्र वाशिंगटन पोस्ट ने प्रकाशित किया। यह नाटकीय खुलास गुरुवार को विएना में 45 सदस्यीय परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की होने वाली बैठक से पहले हुआ है। गुरुवार से शुरू हो रही दो दिवसीय बैठक में भारत के साथ परमाणु व्यापार की छूट देने पर विचार किया जाएगा।
अखबार में छपी रिपोर्ट में बर्मन के प्रवक्ता लिन्ने वेल ने कहा, "उन्होंने इन जवाबों को मंगलवार को सार्वजनिक किया था। उन्होंने कहा कि यदि एनएसजी भारत के साथ परमाणु व्यापार की छूट दे देता है तो करार को अंतिम मंजूरी के लिए शीघ्र अमेरिकी कांग्रेस के समक्ष पेश किया जाएगा। ऐसे में वे यह यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि इस बारे में अमेरिकी कांग्रेस के पास प्र्याप्त जानकारियां मौजूद हों।"
उधर, भाजपा नेताओं ने कहा है कि इस खुलासे ने परमाणु सरकार को लेकर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (सपं्रग) सरकार द्वारा बढ़ा-चढ़ा कर पेश किए जा रहे दावों को खोखला साबित कर दिया है और साथ ही भाजपा की आपत्तियों को सही साबित ठहाराया है।
दोनों नेताओं ने अपने बयान में कहा है कि इसके लिए यह कहना उचित नहीं होगा कि अमेरिका ने भारत को अंधेरे में रखा बल्कि यह कहना उचित होगा कि सब कुछ जानते समझते हुए केंद्र सरकार ने संसद और देश की जनता को गुमराह करने का प्रयास किया।
उनके मुताबिक इस खुलासे से साफ हो गया है कि परमाणु करार के बाद भारत के पास परमाणु विस्फोट का अधिकार नहीं रहेगा।
सिन्हा और शौरी ने अपने बयान में कहा कि इस प्रकार झूठी बातें कर संसद व देश की जनता को गुमराह करने वाले प्रधानमंत्री को पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है, इसलिए उन्हें तत्काल अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए और देश में नए सिरे से लोकसभा के चुनाव होने चाहिए।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
*