कूड़ा बीनने वाले बच्चों ने निकाला बिहार बचाओ, मदद पहुंचाओ मार्च
वाराणसी, 3 सितम्बर (आईएएनएस)। बिहार में आई प्रलयंकारी बाढ़ की वजह से बेघर और भूख से तड़प रहे बच्चों का दर्द बनारस के कूड़ा बीनने वाले बच्चों एवं बुनकरों के बच्चों ने बड़ी शिद्दत से महसूस किया है। इसीलिए कूड़ा बीनकर अपना पेट पालने वाले बच्चों ने विशाल भारत संस्थान की अपील पर बिहार बचाओ, मदद पहुंचाओ मार्च वाराण्सी के शास्त्रीनगर पार्क से भारत माता मंदिर तक निकाला।
वाराणसी, 3 सितम्बर (आईएएनएस)। बिहार में आई प्रलयंकारी बाढ़ की वजह से बेघर और भूख से तड़प रहे बच्चों का दर्द बनारस के कूड़ा बीनने वाले बच्चों एवं बुनकरों के बच्चों ने बड़ी शिद्दत से महसूस किया है। इसीलिए कूड़ा बीनकर अपना पेट पालने वाले बच्चों ने विशाल भारत संस्थान की अपील पर बिहार बचाओ, मदद पहुंचाओ मार्च वाराण्सी के शास्त्रीनगर पार्क से भारत माता मंदिर तक निकाला।
बिहार में कोसी के प्रकोप से जहां लाखों लोग बेघर हुए हैं वहीं हजारों बच्चे अनाथ भी हुए हैं। कूड़ा बीनने वाले बच्चों ने अपनी एक दिन की मेहनत की कमाई को बाढ़ राहत कोष में भेजने का फैसला किया है ताकि इससे प्रेरित होकर अन्य लोग भी मदद के लिए आगे आयें। मार्च के दौरान बच्चे अपने हाथों में तख्तियां लेकर लोगों को जागरूक कर रहे थे, और बाल राहत कोष के लिए सहायता मांग रहे थे।
तख्तियों पर लिखा था, 'कूड़ा बेचकर दिया है दान, बिहार के बच्चों की बचानी है जान। एक-एक पैसा जोड़ेंगे बिहार को पैसा भेजेंगे। अंकल आंटी आगे आओ, बिहार के बच्चों को मदद पहुंचाओ।
बच्चों में ताजीम अली ने माला बनाकर बचाये गये एक माह की कमाई 200 रुपये राहत कोष को दान कर दिया। इस अवसर पर ताजीम अली ने बताया कि बिहार में सबसे खराब हालत बच्चों की है, सबसे ज्यादा अगर मदद की जरुरत है तो वहां के बच्चों को है, क्योंकि कई बच्चे जहां अनाथ हो गये हैं वहीं कई की हालत दूध के बगैर खराब है।
इस अवसर पर विशाल भारत संस्थान के डा. राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि 'कूड़ा बीनने वाले बच्चे बिहार के बाढ़ प्रभावित बच्चों के लिए चिंतित हैं यह हम सबके लिए बड़ा सबक है। बाढ़ पीड़ित बच्चों को बचाने और उनके पुनर्वास के लिए सबको आगे आना होगा। यह हमारे देश के लिए आपदा की घड़ी है हम सभी बिहार के लोगों के साथ हैं। मैं अपनी पांच दिन की तनख्वाह बिहार में पीड़ित बच्चों के लिए भेजूंगा तथा कारपोरेट जगत के सक्षम लोगों से अपील करते हैं कि वे भी आगे बढ़कर प्रभावित लोगों के पुनर्वास में मदद करें।
बिहार में आई तबाही पर कूड़ा बीनने वालों बच्चों द्वारा दी गयी यह मदद भले ही उट के मुंह में जीरा साबित होगी लेकिन इन्होंने जो हौसला और मदद का जज्बा दिखाया है उससे चुप्पी साधे कारपोरेट जगत और सक्षम लोगों की आंखे जरूर खुलेंगी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।