बिहार में कोसी की विनाशलीला जारी
हजारों लापता हो चुके हैं, जब भी कोई शव पानी में बहकर आता है तो लोगों की भीड़ यह देखने के लिए उमड़ पड़ती है कि कहीं वो उनके किसी परिजन का शव तो नहीं।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मरने वालों की संख्या 70 है, जबकि गैर सरकारी आंकड़े कहते हैं कि बाढ़ ने अब तक कम से कम डेढ़ सौ लोगों को अपनी चपेट में लिया है।
कोसी की धारा ने पूर्णिया के कई नए इलाकों में तबाही शुरू कर दी है। धरहरा कोठी, धमदाहा और भवानीपुर के सैकड़ों गांव जलमग्न हो गये हैं। नेपाल में गंडक के जलग्रहण क्षेत्रों में जारी बारिश के कारण वाल्मिकीनगर के गंडक बैराज से पिछले 24 घंटे में दो लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिससे पश्चिमी चंपारण जिले के ठकराहा, भीतहा, मधुबनी और पिपरासी प्रखंड के कइ नए इलाके पानी में डूब गये हैं।
उधर, आपदा प्रबंधन विभाग के विशेष सचिव प्रत्यय अमृत के मुताबिक भारतीय थल सेना के 14 तथा नौसेना की नौ टुकड़ियां मधेपुरा, सुपौल, अररिया तथा सहरसा में राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं।
राहत कार्यो में तेजी लाने के लिए बिहार प्रशासनिक सेवा के 22 अधिकारियों को सुपौल, अररिया और सहरसा जिलों में तैनात कर दिया गया है। सरकार ने मधेपुरा और सुपौल के उन प्रखंडों की पहचानकर युद्घस्तर पर राहत एवं बचाव कार्य प्रारंभ कर दिए हैं, जहां अब तक पहुंचना मुश्किल था।
विशेष सचिव के मुताबिक बाढ़ में फंसे लगभग 20 लाख में से 10 लाख लोगों को सरकारी या निजी प्रयासों से सुरक्षित स्थानों तक पहुंचा जा चुका है।
बिहार को सहायता के लिए मुम्बई ने हाथ बढ़ाये
उधर बिहार बाढ़ की विनाशलीला को देखते हुए मुम्बईवासियों ने राहतकार्य पहुंचाने का निर्णय लिया है। मुम्बई के कई डॉक्टरों, टेलीविजन कलाकार, स्वयंसेवी और आमनागरिकों ने एक दल बनाकर बिहार जाने का फैसला लिया है।
इन
लोगों
में
ज्यादातर
लोग
ऑट
आफ
लिविंग
संस्था
से
जुड़े
हैं।
इस
दल
में
करीब
एक
हजार
लोग
बिहार
में
राहत
कार्य
के
लिए
जाएंगे,
जिनमें
फिजीशियन,
मेडिकल
स्टूडेंट्स,
नर्सें,
भी
शामिल
हैं।