क्रूड की नरमी से हो सकती है 680 अरब रुपये की बचत
नई दिल्ली, 31 अगस्त (आईएएनएस)। कच्चे तेल यानी 'क्रूड' की कीमतों में आई हालिया गिरावट की वजह से भारत अपने आयात बिल में 680 अरब रुपये की बचत कर सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में 147 डालर प्रति बैरल (159 लीटर) के रिकार्ड स्तर पर चले जाने के बाद कच्चा तेल फिलहाल 110-120 डालर प्रति बैरल के स्तर पर आ गया है।
कच्चे तेल की कीमतों में आई हालिया गिरावट का भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव पर 'एसोसिएटेड चैंबर्स आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री' यानी एसोचैम ने एक अध्ययन रिपोर्ट तैयार किया है। इसके मुताबिक चालू वित्त वर्ष के दौरान अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमतें यदि 145 डालर प्रति बैरल के आस-पास बनी रहती है, तो भी भारत इसका आयात 125 डालर प्रति बैरल पर ही करेगा।
कच्चे तेल की कीमतों में हुई हालिया उलटफेर की वजह से भारत का तेल आयात बिल 108 अरब डालर तक रह सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2008-09 की पिछली तीन तिमाहियों के दौरान भारत ने औसतन 120 डालर प्रति बैरल की दर से कच्चे तेल का आयात किया है।
गौरतलब है कि पिछले वित्त वर्ष (2007-08) के दौरान देश में 67.98 अरब डालर मूल्य के कच्चे तेल का आयात किया गया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वर्ष मध्य जुलाई में 147.27 डालर प्रति बैरल के रिकार्ड स्तर पर जा पहुंचने के बाद कच्चे तेल की कीमतों में अब तक 25 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है।
अपनी रिपोर्ट में एसोचैम ने कहा, "चालू वित्त वर्ष के लिए कच्चे तेल के आयात बिल में सरकार ने पांच से छह प्रतिशत वृद्धि का आकलन किया है। वित्त वर्ष 2007-08 की तुलना में कच्चे तेल के आयात बिल में यह 58 प्रतिशत की जबरदस्त उछाल दर्शाता है।"
एसोचैम का आकलन है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की आपूर्ति के अनुपात में मांग घटी है। इस वजह से कीमतों में गिरावट आई। चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही के दौरान कच्चे तेल की कीमतों में और गिरावट आ सकती है। इससे भारत के कच्चे तेल के आयात बिल में जबरदस्त कटौती हो सकती है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।