बिहार बाढ़ : बिहटा में बनेगा आपदा राहत बल का स्थायी शिविर (लीड-2)
पटना, 30 अगस्त (आईएएनएस)। भारी बाढ़ की समस्या से जूझ रहे बिहार में पटना के निकट आपदा राहत बल (एनडीआरएफ) का स्थायी आधार शिविर बनाया जाएगा। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकारण (एनडीएमए) इस तरह की योजना बना रहा है।
एनडीएमए के अधिकारी के. एम. सिंह ने बताया कि एनडीआरएफ के बिहटा में बनने वाले इस शिविर में छह माह के भीतर उच्चस्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त कर्मचारी होंगे।
सिंह ने कहा कि यह निर्णय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से किए गए निवेदन के बाद लिया गया है।
बिहार में कोसी नदी में आई बाढ़ की स्थिति शनिवार को लगातार 13 वें दिन भी गंभीर बनी हुई है। पानी लगातार मधेपुरा, सुपौल, पूर्णिया, सहरसा, खगड़िया और फारबिसगंज के नए इलाकों में भरता जा रहा है। पूरे राज्य में बाढ़ से अब तक 67 लोगों की मौत हो चुकी है।
मधेपुरा में बाढ़ की स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है। शुक्रवार को यहां मुरलीगंज प्रखंड के मीरगंज इलाके में बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने के काम में लगी सेना की एक नाव के पलट जाने से बीस लोगों की मौत हो गई।
आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने बताया, "स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा है। पानी लगातार नए इलाकों में भर रहा है। राहत और बचाव कार्य व्यापक पैमाने पर चलाए जा रहे हैं।"
उधर, वाल्मीकिनगर गंडक बैराज से पिछले 24 घंटों में दो लाख 36 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने से स्थिति और खराब हो गई है। सुपौल, मधेपुरा, अररिया और सहरसा की स्थिति बदतर बनी हुई है। सहरसा जिले के पांच प्रखंडो के 62 गांवों में बाढ़ का पानी घुस आया है जबकि अररिया के चार प्रखंडों के 72 गांव बाढ़ की चपेट में बताए जाते हैं। उधर, सुपौल जिले के पांच प्रखंडों के 243 गांव और मधेपुरा जिला के 11 प्रखंडों के 378 गांव बाढ़ के पानी में घिरे हुए हैं।
राज्य के आपदा प्रबंधन मंत्री नीतीश मिश्र ने आईएएनएस को बताया, "पीड़ितों को निकालने का काम व्यापक पैमाने पर किया जा रहा है अगले 48 घंटों में इसे और तेज किया जाएगा। " उन्होंने कहा कि सरकार हर स्ांभव प्रयास कर रही है।
राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग के विशेष सचिव प्रत्यय अमृत ने शनिवार को बताया कि बाढ़ में फंसे तीन लाख लोगों को प्रशासन ने सुरक्षित स्थानों तक पहुंचा दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य में 150 से ज्यादा राहत शिविर चलाए जा रहे हैं और जल्द ही पूर्णिया, सहरसा और बथनाहा में और राहत शिविर खोले जाएंगे।
अमृत ने बताया कि बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित चार जिलों सुपौल, मधेपुरा, अररिया और सहरसा में अब तक 32 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि अन्य जिलों में अब तक बाढ़ के कारण 35 लोग जलसमाधि ले चुके हैं। उधऱ अपुष्ट खबरों में बाढ़ से मरने वालों की संख्या सौ से ज्यादा बताई जा रही है। कुल मिलाकर लगभग 25 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं।
सरकारी अधिकारियों के मुताबिक अब तक तीन लाख लोगों को बचा लिया गया है जबकि 102 राहत कैंपों में करीब एक लाख से अधिक लोग रह रहे हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।