तिब्बती शरणार्थियों की समस्याएं दर्शाता वृत्तचित्र
नई दिल्ली, 30 अगस्त (आईएएनएस)। तिब्बती शरणार्थियों को भारत आए चार दशक से भी अधिक समय हो चुका है, लेकिन वे अभी भी अपनी पहचान को लेकर संकट में हैं।
क्या वे शरणार्थी हैं या फिर भारत में इतने दिन रहने के बाद उनको भारतीय पहचान मिली है। इस विषय को 'ट्रिब्यूट टू लाइफ-मेमॉयर आफॅ ए लास्ट लैंड' नामक वृत्तचित्र में बखूबी दर्शाया गया है।
इस वृत्तचित्र को दक्षिण एशिया वृत्तचित्र महोत्सव 2008 के उद्घाटन सत्र में इंडिया हैबीटेट सेंटर में 28 अगस्त को प्रदर्शित किया गया था।
इस फिल्म के निर्देशक नील कार्तिक ने आईएएनएस को बताया कि उनके वृत्तचित्र की एक पात्र 85 वर्षीया तिब्बती शरणार्थी अम्मा है, जो अपने नजदीकी लोगों को खोने के सदमे के कारण बोल भी नहीं सकती हैं।
वृत्तचित्र का निर्माण सेंटर फॉर सिविल सोसायटी ने किया है। समारोह के उद्घाटन के अवसर पर सोसायटी के अध्यक्ष पार्थ शाह ने अपने संबोधन में कहा, "तिब्बती शरणार्थी भारतीय संस्कृति को अपनाने और अपनी जीविका अर्जित करने के लिए चुनौतियों का सामना कर रहें हैं।"
वृत्तचित्र 1959 चीनी दमन के कारण भारत चले आए करीब छह लाख शरणाथिर्यों की स्थिति को बखूबी दर्शाता है। वृत्तचित्र के लिए मशहूर अभिनेता टाम ऑल्टर ने आवाज दी है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।