बिहार बाढ़ : हालात और बिगड़े, सेना का नाव डूबने से 20 लोग लापता (राउंडअप)
पटना, 30 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार में बाढ़ का कहर जारी है। नेपाल से दो लाख 50 हजार क्यूसेक पानी और छोड़े जाने की वजह से स्थिति और खराब हो गई है। अब नए इलाकों में भी बाढ़ का पानी लगातार घुस रहा है। पानी का बहाव इस कदर तेज है कि मधेपुरा जिले के मुरलीगंज प्रखंड अंतर्गत मीरगंज में शुक्रवार की शाम बाढ़ राहत में जुटी सेना की एक नाव नदी में पलट गई। नाव पर कुल 50 लोग सवार थे जिसमें से 20 लोगों का अब तक पता नहीं चल पाया है।
लापता लोगों में बिहार पुलिस का एक हवलदार तथा एक सरकारी कर्मचारी भी शामिल है। घटना की पुष्टि करते हुए मधेपुरा के जिलाधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि 202 नंबर का आर्मी इंजीनियरिंग विंग का नाव बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत शिविर में लाने के लिए गांव में गया था। इस नाव में क्षमता से अधिक ग्रामीण सवार हो गये जिससे नाव पलट गई।
उन्होंने बताया कि नाव पर सवार 50 लोगों में से 30 लोगों को बचा लिया गया है जबकि 20 लोग अब भी लापता हैं। उन्होंने बताया कि लापता लोगों को तलाश करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
सरकार के मुताबिक अब तक बाढ़ में 20 लाख लोग फंसे हुए हैं। आधिकारिक तौर पर बाढ़ के कारण अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है हालांकि अपुष्ट सूत्रों के अनुसार यह आंकड़ा 100 से कहीं ज्यादा है। शुक्रवार को पटना में बाढ़ के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
सर्वदलीय बैठक के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया कि बाढ़ के मुद्दे पर सभी राजनीतिक दल मिलकर काम करेंगे। उन्होंने बताया कि पांच सबसे ज्यादा बाढ़ प्रभावित जिलों में राहत कार्यो के निरीक्षण के लिए एक-एक मंत्री को नियुक्त किया गया है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि अररिया में आपदा प्रबंधन राज्यमंत्री नीतीश मिश्र, सुपौल में जल संसाधन मंत्री बिजेन्द्र यादव, मधेपुरा में राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री नरेन्द्र नारायण यादव, सहरसा में लघु जल संसाधन मंत्री दिनेश प्रसाद और पूर्णिया में श्रम संसाधन मंत्री अवधेश नारायण सिंह राहत कार्यो का निरीक्षण करेंगे। उन्होंने बताया कि राहत शिविर अगले वर्ष मार्च-अप्रैल तक चलाया जाएगा।
उधर, राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग के विशेष सचिव प्रत्यय अमृत ने आज आईएएनएस को बताया कि लोगों को बाढ़ प्रभावित इलाकों से बाहर निकालने के लिए 700 नाव और मोटर बोट चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि दो दिनों में इनकी संख्या 950 हो जाएगी और 5 हजार टेंट बाढ़ राहत शिविरों में पहुंचा दिए जाएंगे, जिससे राहत शिविरों में रहने वाले लोगों को छत मिल सके। कोसी नदी का पानी अब मधेपुरा, सुपौल, पूर्णिया, सहरसा, खगड़िया और फारबिसगंज के नए क्षेत्रों में फैल रहा है।
अब तक डेढ़ लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है। पूर्णिया जिले के बीकोठी, बनमनखी, रूपौली और धमदाहा प्रखंडों में कोसी का कहर जारी है। जलस्तर में वृद्घि से बीकोठी की ढीबराधनी, भनसारा व लतहारा पंचायत क्षेत्र प्रभावित हुए हैं। बनमनखी-मुरलीगंज सीमा पर चैनपुर के पास राष्ट्रीय राज्यमार्ग क्रमांक 107 का आधा हिस्सा पानी में बह गया है।
अररिया के नरपतगंज प्रखंड के कई नए गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। भागलपुर के नवगछिया अनुमंडल में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है। सुपौल जिला के वीरपुर, बलुआ, छातापुर, त्रिवेणीगंज के इलाके में पानी का दबाव बढ़ा है।
इससे पहले आपदा प्रबंधन के प्रधान सचिव आऱ क़े सिंह ने बताया था कि उन्हें खबर मिली है कि निजी नाव वाले लोगों को बाहर निकालने के एवज में दो-तीन हजार रुपए ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी नावों को जब्त कर लिया जाएगा। सिंह ने बताया कि सेना की एक-एक टुकड़ी अररिया, सुपौल और मधेपुरा में लगी हुई है। उन्होंने बताया कि हेलीकॉप्टर के जरिए अब तक 23 हजार खाने के पैकेट गिराए जा चुके हैं हालांकि मौसम का मिजाज इसमें रोड़ा बना हुआ है।
उधर, जलसंसाधन विभाग, मोतिहारी के मुख्य अभियंता श्यामनंदन प्रसाद ने बताया कि पिछले 24 घंटे के दौरान नेपाल के पाखरा और भैरहवां में लगातार बारिश होने के कारण वाल्मीकीनगर गंडक बराज से पिछले 24 घंटे में दो लाख 50 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। बराज से पानी छोड़े जाने के बाद स्थिति और खराब हो गई है।
इधर, विख्यात बाढ़ विशेषज्ञ नीलेन्दु सान्याल ने पत्रकारों को बताया कि कोसी को मूलधारा में वापस लाना संभव है। यह कार्य आसान नहीं लेकिन असंभव भी नहीं है। सान्याल ने गुरुवार को कोसी क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण भी किया था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।