बिहार के बाढ़ पीड़ितों को नेपाल में पनाह नही

By Staff
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Bihar Flood
काठमांडू, 28 अगस्तः कोसी की बाढ़ का कहर झेल रहे बिहार वासियों को अब नेपाल में पनाह नहीं दी जा रही है। नेपाल के राहत शिविरों में शरण लिए भारतीय बाढ़ पीड़ितों को वहां के सुरक्षा बल वापस लौटा रहे हैं।

पिछले सप्ताह से कोसी नदी द्वारा दक्षिणी नेपाल के संसुरी जिले और बिहार के छह जिलों में मचाई जा रही तबाही से बचने के लिए सैकड़ों भारतीय नेपाल के सुरक्षित स्थानों पर शरण लिए हुए हैं।

नेपाल के राहत शिविरों में करीब 1200 भारतीय हैं। इन्हें मानवीय आधार पर चिकित्सा और भोजन की व्यवस्था दी गई है। नेपाली अधिकारियों का कहना है कि बिहार में स्थिति सुधरने के बाद इनको वापस जाने को कहा जाएगा।

हालांकि अब नेपाल के पुलिसकर्मी भारतीयों को नेपाल आने से रोक रहे हैं। प्राप्त समाचारों के अनुसार बिहार के बाढ़ग्रस्त सुपौल जिले से सोमवार रात को जोगबनी चौकी पहुंचे बीसियों लोगों को नेपाल में घुसने से रोक दिया गया।

नेपाल के सरकारी समाचार पत्र 'गोरखपुत्र' के अनुसार बाढ़ आने के बाद से करीब 5,000 भारतीय नेपाल में आ चुके हैं। अखबार के अनुसार जोगबनी चौकी पर भारतीयों को रोके जाने के बावजूद वे अन्य रास्तों से नेपाल पहुंच रहे हैं।

उधर सप्तकोसी बैराज के निरीक्षण के लिए गए भारतीय दल ने इसकी मरम्मत के लिए 5.15 अरब नेपाली रुपये के खर्च का अनुमान लगाया है। इससे संबंधित रिपोर्ट बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भेज दी गई है।

भारत और नेपाल सरकार के बीच 1954 में हुए समझौते के अनुसार सप्तकोसी बैराज की देखरेख और मरम्मत का काम बिहार सरकार करेगी। नेपाल के राजनीतिक दल माओवादी सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि वह भारत सरकार से हर्जाने की मांग करें।

नेपाल के विदेशमंत्री उपेंद्र यादव गुरुवार को नई दिल्ली के लिए रवाना हो गए। बिम्सटेक की बैठक में भाग लेने के बाद वे भारतीय अधिकारियों के साथ बाढ़ के मुद्दे पर चर्चा करेंगे।

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