उड़ीसा के घटनाक्रम से राहत हैं ग्राहम स्टेंस की विधवा(साक्षात्कार)
नीना भंडारी
नीना भंडारी
सिडनी, 27 अगस्त (आईएएनएस)। उड़ीसा में अपने पति ग्राहम स्टेन्स और दो पुत्रों को खो चुकी ग्लैडीज स्टेंस वहां जारी जातीय हिंसा से बेहद आहत हैं।
दशक भर पहले ईसाई मिशनरी ग्राहम और उनके पुत्रों को उड़ीसा में उस समय जलाकर मार डाला गया था जब वे अपने वाहन में सो रहे थे। ग्लैडीज ने कहा, "मैं उम्मीद करती हूं कि लोग एक दूसरे की इज्जत करना सीखेंगे और धार्मिक भेदभावों से सामुदायिकता की भावना से जीना शुरू करेंगे।"
ग्लैडीज इस समय आस्ट्रेलिया में अपनी पुत्री के साथ रहती हैं। उन्होंने आईएएनएस को दिए एक साक्षात्कार में कहा, "उड़ीसा की हाल की घटनाओं से मैं बहुत आहत हूं। वह जगह हमेशा मेरे दिल के करीब रहेगी।"
ग्लैडीज को अपने वतन लौटे चार साल बीत चुके हैं, लेकिन आज भी उनके मन में हजारों मील दूर स्थित भारत की यादे हैं, जहां उन्होंने अपने जीवन के 20 साल बिताए।
वह मयूरभंज लेप्रोसी होम और ग्राहम स्टेंस मेमोरियल हॉस्पिटल के कर्मचारियों के निरंतर संपर्क में रहती हैं। वह बताती हैं, "इस साल मई में भारत गई थी। वह बिल्कुल घर वापसी जैसा था। मैं वहां 10 दिन तक रही। लोग मुझे प्यार से दीदी कहकर पुकारते हैं।"
उन्होंने कहा, "निश्चित तौर पर भगवान ने माफ करने में मेरी सहायता की। उन्होंने ही हम सभी की रचना की है और वे नहीं चाहते कि हम एक-दूसरे की हत्या करें। जब तक हम कड़वाहट और अहं नहीं त्यागेंगे, हिंसा का चक्र कभी नहीं थमेगा।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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