बिहार बाढ़: मधेपुरा खाली करने की सलाह
पटना, 27 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार में बाढ़ की स्थिति विकट बनी हुई है और कोसी के लगातार दिशा बदलने के कारण कई नए इलाके बाढ़ की चपेट में आ रहे हैं और हालात इतने खराब चुके हैं कि बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित मधेपुरा जिले को खाली करने की सलाह दी जा रही है।
मधेपुरा के सैकड़ों गांवों में तबाही मचाने के बाद कोसी का पानी मधेपुरा के शहरी इलाकों में प्रवेश कर गया है। राज्य के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री सह मधेपुरा जिला के बाढ़ प्रभारी मंत्री नरेन्द्र नारायण यादव ने लोगों को शहर खाली कर राहत शिविरों में पनाह लेने की सलाह दी है।
यादव ने बुधवार को बताया कि कोसी नदी द्वारा अपनी धारा बदल लेने के कारण आने वाले दिनों में इस पूरे इलाके में प्रलय का नजारा हो सकता है। उन्होंने बताया कि इस समय नदी से कुल एक लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, लेकिन आने वाले दिनों में इससे नौ लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा सकता है।
यादव ने कहा कि अगर अब भी लोग सुरक्षित स्थानों की तरफ नहीं गए, तो उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है। इधर, बाढ़ का पानी राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 106 तथा 107 को पार कर लिया है। उधर, कटिहार, सुपौल, भागलपुर, खगड़िया जिले के कई नए इलाकों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। बाढ़ के कारण राज्य में 30 लाख की आबादी प्रभावित हुई है। हालांकि सरकार बाढ़ से मरने वालों की संख्या बताने को तैयार नहीं है।
उधर, बाढ़ पीड़ितों के मदद के लिए सेना ने भी मोर्चा संभाल लिया है। इस बीच कटिहार के कई प्रखंडों में पानी फैलने के बाद हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। भागलपुर जिले के नवगछिया अनुमंडल के 16 गांव बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित हैं। खगड़िया जिले के बेलदौर प्रखंड व शहर के दाननगर सहित अन्य क्षेत्रों में भी बाढ़ की स्थिति भयावह हो गई है। उधर, मधेपुरा जेल के 545 कैदियों को सहरसा जेल भेज दिया गया है।
बताया जाता है कि तटबंध टूटने के बाद कोसी नदी ने अपने 1922 की धारा पर दोबारा बहना शुरू कर दिया है। इससे सुपौल जिले के अलावा मधेपुरा जिले के कुमारखंड, शंकरपुर, सिंहेश्वर, मुरलीगंज, मधेपुरा, ग्वालपाड़ा, बिहारीगंज उदाकिशुनगंज, चौसा, आलमनगर तथा पुरैनी प्रखंडों के लगभग 10 लाख लोग बाढ़ की चपेट में हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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