'ह्रषिकेश दा की फिल्मों में झलकता है उनका व्यक्तित्व'
नई दिल्ली, 26 अगस्त (आईएएनएस)। हिन्दी सिनेमा में एक नई धारा को जन्म देने वाले मशहूर फिल्मकार ह्रषिकेश मुखर्जी आज भी खूब याद आते हैं। उनके चाहने वालों का कहना है कि ह्रषि दा का स्नेहमयी व्यक्तित्व उनकी संवेदनशील मनोरंजक फिल्मों में झलकता है।
उनकी दूसरी पुण्यतिथि की पूर्व संध्या पर बालीवुड के कई निर्देशकों और कलाकारों ने उन्हें मंगलवार को राजधानी में याद किया। इस मौके पर मंगलवार को बालीवुड के अभिनेता और निर्देशक साजिद खान ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि फिल्मों में होने वाले हास्य दृश्यों को लेकर ह्रषि दा का अंदाज बिलकुल निराला था। वे बड़ी सहजता के साथ उन दृश्यों का फिल्मांकन करते थे।
खान ने कहा, " मैं फिल्म तैयार करने की उनकी शैली को सतर्कता के साथ समझने की कोशिश करता हूं।" ह्रषि दा द्वारा निर्देशित फिल्म 'झूठ बोले कौवा काटे' में साजिद ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह उनके निर्देशन में बनने वाली आखिरी फिल्म थी।
साजिद ने कहा, "आजकल जो हास्य फिल्में बन रही हैं, वह उनके द्वारा निर्देशित हास्य फिल्मों का मुकाबला नहीं कर सकतीं। हां, फिल्म 'मुन्नाभाई एमबीबीएस' को जरूर उनकी फिल्मों के थोड़ा करीब रखा जा सकता है।"
फिल्म 'गोलमाल' में अमोल पालेकर की छोटी बहन की भूमिका निभाने वाली मंजू सिंह ने कहा कि आजकल जो हास्य फिल्में बन रही हैं, उनमें हंसाने के प्रयास किए जाते हैं, लेकिन ह्रषि दा का दृष्टिकोण बिलकुल अलग था। उन्होंने कहा, "फिल्म 'गोलमाल' के प्रदर्शित होने के बाद की पीढ़ियां भी इस फिल्म को खूब पसंद करती हैं।"
ह्रषिकेश मुखर्जी ने वर्ष 1951 में बिमल राय के साथ बतौर सह निर्देशक अपना करियर शुरू किया था। उनके निर्देशन में बनने वाली पहली फिल्म 'मुसाफिर' थी। इसके बाद उन्हेंने 'अनुराधा', 'अनुपमा', 'आशीर्वाद' और 'सत्यकाम' जैसी फिल्मों का निर्देशन किया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।