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जम्मू-कश्मीर हिंसा में 5 मरे, 80 घायल (राउंडअप)

By Staff
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श्रीनगर/जम्मू, 25 अगस्त (आईएएनएस)। कश्मीर घाटी के कर्फ्यूग्रस्त इलाकों में सोमवार को पांच लोगों की मौत हो गई जबकि 50 से अधिक घायल हो गए। घाटी क्षेत्र में वरिष्ठ अलगाववादी नेताओं को गिरफ्तार भी किया गया। उधर, जम्मू में हालात अभी भी पूर्ववत हैं। विभिन्न स्थानों पर हुए प्रदर्शनों में आज 30 लोग यहां घायल हुए।

घाटी में सोमवार को कर्फ्यू का उल्लंघन कर सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारियों की पुलिस से हुई मुठभेड़ में चार नागरिकों की मौत हो गई और अर्धसैनिक बल का एक जवान शहीद हो गया।

प्रदर्शनकारियों की ओर से गोली चलने के बाद केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की ओर से की गई जवाबी गोलीबारी मेंकम से कम 50 लोग घायल हो गए, जबकि लाल चौक तक प्रस्तावित मार्च के मद्देनजर घाटी में प्रमुख अलगाववादी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।

प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग के बारे में एक पुलिस अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि बांदीपोरा जिले के हाजिन कस्बे में पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों ने प्रदर्शनकारियों को शांतिपूर्वक हटने के लिए कहा, इसी बीच भीड़ में से किसी ने गोली चला दी, जिसमें सीआरपीएफ के दो जवान और दो पुलिसकर्मी घायल हो गए।

उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ की जवाबी कार्रवाई में 15 लोग घायल हो गए। सभी घायलों को हाजिन के अस्पतालों में भर्ती करवाया गया है। क्षेत्र में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। हाजिन में राष्ट्रीय राइफल्स के जवानों को तैनात किया गया है।

उधर, सोमवार के मार्च से पहले ही रविवार देर रात हुर्रियत नेताओं सैयद अली शाह गिलानी और मीरवाइज उमर फारुक को गिरफ्तार कर लिया गया था।

जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के नेता यासीन मलिक को सोमवार को गिरफ्तार किया गया। यासीन की गिरफ्तारी के बारे में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि यासीन को उस समय गिरफ्तार किया गया, जब वे प्रदर्शनकारियों के साथ लाल चौक की ओर जा रहे थे।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार रविवार को राज्यपाल एन. एन. वोहरा की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक में गिलानी और मीरवाइज को गिरफ्तार करने का निर्णय लिया गया। पिछले सात वर्षो में पहली बार इन दोनों नेताओं को गिरफ्तार कर उनके घरों से दूर रखा गया है।

गिलानी को इससे पूर्व दिसंबर 2001 में गिरफ्तार कर रांची जेल में रखा गया था। खुफिया विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन नेताओं को घरों में नजरबंद करने के बाद भी ये लोगों से भेंट किया करते थे।

उधर, घाटी में अनिश्चतकालीन कर्फ्यू जारी है। अलगाववादियों के प्रस्तावित मार्च के मद्देनजर घाटी में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।

गौरतलब है कि शुक्रवार को ईदगाह मैदान पर अपनी शक्ति दिखाने के बाद अलगाववादी नेताओं ने सोमवार को श्रीनगर के लाल चौक पर प्रदर्शन का आह्वान किया था।

घाटी के अनंतनाग, शोपियां, कुलगाम और पुलवामा बडगाम, बारामूला, गंदेरबल और कुपवाड़ा जिलों में भी सोमवार को कर्फ्यू में कोई ढील नहीं दी गई।

उधर, जम्मू क्षेत्र के विभिन्न इलाकों में श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड को आवंटित जमीन वापस किए जाने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़पों में कई लोग घायल हो गए जबकि क्षेत्र के कठुआ जिले में कर्फ्यू लगा दिया गया।

जम्मू से करीब 80 किलोमीटर दूर कठुआ में आगजनी और हिंसा की घटना के बाद अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया।

कठुआ में लोग सड़कों पर उतर आए। आंदोलनकारी अमरनाथ बोर्ड को जमीन वापस करने की मांग के साथ ही पुंछ में हुए सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। इस बीच भीड़ को तितर-बितर करने में जुटी पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें भी हुईं।

कठुआ, जम्मू और दिगियाना में पुलिस के साथ हुई झड़पों में 30 से अधिक लोग घायल हो गए। क्षेत्र में प्रदर्शनकारियों पर काबू पाने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े और हवा में गोलियां चलानी पड़ीं।

झड़प में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मोहन सिंह भी घायल हो गए। कठुआ में प्रदर्शनकारियों ने दो दुकानों को आग के हवाले कर दिया। पुंछ में शनिवार सुबह से ही कर्फ्यू लगा हुआ है।

जम्मू में प्रदर्शनकारियों ने नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुला, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता महबूबा मुफ्ती और पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद का पुतला फूंका।

पठानकोट जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर प्रदर्शनकारियों को बढ़ने से रोके जाने के दौरान सुरक्षा बलों के साथ उनकी झड़पें हुईं। सुरक्षा बलों ने जब प्रदर्शनकारियों को रोका, उस समय वे जयकारे लगा रहे थे। पुलिस ने कथित तौर पर प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए बल प्रयोग किया। यहां विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व महिलाएं कर रही थीं।

इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा बलों पर पथराव किया, जिसके जवाब में जवानों ने आंसू गैस के गोले छोड़े। इन झड़पों में दस से ज्यादा लोग घायल हो गए।

श्राइन बोर्ड को जमीन वापस किए जाने की मांग को लेकर जम्मू सोमवार को भी पूरी तरह से बंद रहा। श्रीअमरनाथ संघर्ष समिति के नेतृत्व में क्षेत्र में पिछले दो माह से विरोध प्रदर्शन चल रहा है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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